अमेरिकी हमलों को ईरान पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा है. ऐसा अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है. हालांकि इस रिपोर्ट को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और व्हाइट हाउस ने गलत बताया है. रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) की रिपोर्ट, जिसका खुलासा सबसे पहले सीएनएन ने किया था का निष्कर्ष है कि ईरान की परमाणु क्षमताएं केवल कुछ महीने पीछे चली गई हैं समाप्त नहीं हुई हैं.
आकलन के अनुसार, 22 जून के हमलों से फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान में परमाणु स्थलों को भारी नुकसान पहुंचा, लेकिन ईरान का परमाणु बुनियादी ढांचा काफी हद तक बरकरार है जो ट्रम्प और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सार्वजनिक दावों के विपरीत है.
डोनाल्ड ट्रम्प ने रिपोर्ट को बताया फर्जी
ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यह रिपोर्ट फर्जी है और इसका उद्देश्य सैन्य हमले की मांग करना है. उन्होंने लिखा, "फर्जी खबर देने वाले सीएनएन ने असफल हो रहे न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ मिलकर इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों में से एक को बदनाम करने की कोशिश की है. ईरान में परमाणु स्थल पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं! टाइम्स और सीएनएन दोनों को जनता की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है."
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भी एक जोरदार बयान में रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे "पूरी तरह गलत" बताया. लेविट ने कहा कि इस कथित आकलन को लीक करना राष्ट्रपति ट्रंप को नीचा दिखाने और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के लिए एक बेहतरीन मिशन को अंजाम देने वाले बहादुर लड़ाकू पायलटों को बदनाम करने का एक स्पष्ट प्रयास है. हर कोई जानता है कि जब आप चौदह 30,000 पाउंड के बमों को उनके लक्ष्यों पर सटीक तरीके से गिराते हैं तो क्या होता है.
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी हमलों में ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह नहीं किए हैं. दावा किया गया है कि अमेरिकी बंकर-बस्टर बमों ने फोर्डो संवर्धन संयंत्र के प्रवेश द्वारों को ध्वस्त कर दिया, तो मुख्य भूमिगत बुनियादी ढांचा बच गया. इसने यह भी निष्कर्ष निकाला कि प्रमुख उपकरण जिसमें हथियार-स्तर के स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सेंट्रीफ्यूज शामिल हैं को हमले से पहले स्थानांतरित कर दिया गया था और वे अभी भी चालू हैं.