डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि उनकी आक्रामक टैरिफ नीति के कारण ही भारत ने शुल्क खत्म करने की पेशकश की. हालांकि, अमेरिका में ही उनकी इस रणनीति को लेकर आलोचना हो रही है, क्योंकि इससे न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंध प्रभावित हो रहे हैं बल्कि एशिया और यूरोप में अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
एक रेडियो इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश अमेरिका को टैरिफ के जरिए 'मारते' रहे हैं. उनके मुताबिक, भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश रहा है. ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने टैरिफ को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया और इसी वजह से भारत ने उन्हें 'नो टैरिफ' डील ऑफर की.
50% टैरिफ और भारत पर असर
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय सामान पर 25% शुल्क लगाया और रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% टैक्स जोड़ दिया. यानी अब कुल मिलाकर 50% टैरिफ भारतीय निर्यात पर लग गया है. यह स्थिति भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है, क्योंकि अमेरिकी बाजार भारत के लिए अहम है.
घरेलू स्तर पर बढ़ी आलोचना
ट्रंप की इस टैरिफ पॉलिसी को अमेरिका में ही चुनौती मिली है. एक अमेरिकी अपील पर अदालत ने उनके लगाए गए टैरिफ को 'गैरकानूनी' करार दिया है. इसके अलावा, अमेरिका में कई नेताओं ने भी कहा कि इस नीति से रणनीतिक साझेदार भारत को नुकसान पहुंच रहा है और चीन जैसे बड़े खतरों के खिलाफ गठबंधन कमजोर हो सकता है.
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि ट्रंप ने भारत जैसे अहम साझेदार के साथ संबंध कमजोर कर दिए हैं. उनका मानना है कि अमेरिका को तकनीक, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा मामलों में भारत के साथ खड़ा होना चाहिए, लेकिन व्यक्तिगत व्यापारिक हितों के चलते ट्रंप ने रिश्तों को पीछे धकेल दिया. सुलिवन ने चेतावनी दी कि इससे न सिर्फ भारत, बल्कि जर्मनी और जापान जैसे सहयोगी देश भी सोच सकते हैं कि अमेरिका भरोसेमंद नहीं है.