नई दिल्ली: वॉशिंगटन से आई इस बड़ी खबर ने दुनिया के रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा विभाग यानी पेंटागन को आदेश दिया है कि वह परमाणु हथियारों के परीक्षण दोबारा शुरू करे.
ट्रंप ने यह निर्णय चीन और रूस के 'बराबरी के स्तर' पर अमेरिका को लाने के लिए लिया है. यह घोषणा उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ होने वाली उच्चस्तरीय बैठक से ठीक पहले की, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है.
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की थी कि मॉस्को ने एक परमाणु-सक्षम, परमाणु-संचालित पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन का सफल परीक्षण किया है. इस बयान ने वॉशिंगटन में खलबली मचा दी. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों को देखते हुए, मैंने रक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण समान स्तर पर शुरू किया जाए.'
हालांकि ट्रंप के इस निर्देश का मतलब साफ नहीं है कि क्या यह वास्तविक परमाणु वारहेड के परीक्षण की बात है या केवल उन हथियार प्रणालियों की जो उन्हें ले जाने में सक्षम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु भंडार है और मौजूदा हथियारों के 'पूर्ण अद्यतन और नवीनीकरण' की प्रक्रिया जारी है.
चीन ने ट्रंप की घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका को वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का सम्मान करना चाहिए और 'विश्व परमाणु निरस्त्रीकरण को सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार रवैया' अपनाना चाहिए. रूस की ओर से भी संकेत दिया गया कि अगर अमेरिका परीक्षण मोरेटोरियम से पीछे हटता है, तो मॉस्को भी समान प्रतिक्रिया दे सकता है.
अमेरिका ने 1945 से 1992 के बीच कुल 1,054 परमाणु परीक्षण किए थे. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान पर दो परमाणु बम गिराने के बाद देश ने 1992 में अंतिम बार नेवादा साइट पर भूमिगत परीक्षण किया था. तब से अब तक अमेरिका ने किसी वास्तविक परमाणु परीक्षण से परहेज किया है और इसके स्थान पर कंप्यूटर सिमुलेशन तथा उप-गंभीर प्रयोगों पर निर्भर रहा है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, रूस के पास 5,489 परमाणु वारहेड हैं, जबकि अमेरिका के पास 5,177 और चीन के पास 600 हैं. कुल मिलाकर नौ परमाणु-संपन्न देशों- रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, पाकिस्तान, भारत, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास मिलकर 12,200 से अधिक वारहेड मौजूद हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला वैश्विक शक्ति संतुलन को नया मोड़ दे सकता है.