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अब हावर्ड में विदेशी छात्र नहीं ले पाएंगे एडमिशन, ट्रंप ने दिया नया आदेश

Trump Bans Foreign Students Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए आदेश पर हस्ताक्षर किए, जो विदेशी छात्रों को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए वीजा प्राप्त करने से रोकता है. 

Imran Khan claims

Trump Bans Foreign Students Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए आदेश पर हस्ताक्षर किए, जो विदेशी छात्रों को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए वीजा प्राप्त करने से रोकता है. व्हाइट हाउस ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि ट्रंप का मानना ​​है कि विदेशी छात्रों को हार्वर्ड में पढ़ने देना नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा है. 

यह फैसला केवल हार्वर्ड को प्रभावित करता है, अमेरिका के अन्य विश्वविद्यालयों को नहीं. इसका सीधा मतलब है कि हार्वर्ड में एडमिशन लेने के लिए विदेशी छात्रों को नया स्टूडेंट वीजा नहीं दिया जाएगा. अमेरिकी सरकार हार्वर्ड में पहले से पढ़ रहे छात्रों के मौजूदा स्टूडेंट वीजा को भी रद्द कर सकती है.

सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहा हार्वर्ड- ट्रंप

ट्रंप ने दावा किया कि हार्वर्ड, सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहा है. उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी ने अपने विदेशी छात्रों, खासकर उन छात्रों के बारे में उचित जानकारी नहीं दी है जो अवैध या खतरनाक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. सरकार के अनुसार, हार्वर्ड ने स्टूडेंट मिस्व्हेवियर के केवल 3 मामलों की रिपोर्ट की है, जबकि कई और मामले ऐसे हो सकते हैं जो रिपोर्ट नहीं किए गए हैं.

पिछले महीने, अमेरिका ने दुनिया भर में अपने दूतावासों को कहा है कि जो लोग हार्वर्ड में पढ़ने के लिए वीजा अप्लाई करें उनका बैकग्राउंड वेरिफिकेशन अच्छे से किया जाना है. ट्रंप ने कहा कि यह सब देश की सुरक्षा के लिए है. हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टूडेंट, अमेरिकी स्टूडेंट्स से उनकी जगह छीन रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे लोग हैं जो हार्वर्ड जाना चाहते हैं, लेकिन वे विदेशी छात्रों के कारण एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे विदेशी छात्रों का स्वागत करते हैं, अगर वो देश से प्यार करते हैं.

यह कार्रवाई ट्रंप और हार्वर्ड के बीच एक बड़े संघर्ष का हिस्सा है. कुछ ही दिनों पहले, व्हाइट हाउस ने विश्वविद्यालय को मिलने वाले सरकारी अनुदान में $100 मिलियन की कटौती भी की थी. जबकि सरकार का कहना है कि यह सुरक्षा और निष्पक्षता के बारे में है. आलोचकों का कहना है कि यह अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पर हमला है और शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में अमेरिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है.

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