मलेशिया ने पाकिस्तान की उस कोशिश को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" कार्यक्रम को रोकने की मांग की थी. पाकिस्तान ने मलेशिया पर धार्मिक आधार पर दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन मलेशिया ने इसे अस्वीकार कर भारत के साथ राजनयिक संबंधों को तरजीह दी.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसकी अगुवाई जेडीयू सांसद संजय झा कर रहे थे, को मलेशिया में सभी दस निर्धारित कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मिली. यह प्रतिनिधिमंडल पहले जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया का दौरा कर चुका था. मलेशिया इस अभियान का अंतिम चरण था.
पाकिस्तान का धर्म आधारित आग्रह
पाकिस्तान ने मलेशियाई सरकार से अपील की थी कि "हम एक इस्लामिक देश हैं, आप भी इस्लामिक देश हैं, इसलिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की बात न सुनें और उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दें." लेकिन मलेशिया ने इस तर्क को खारिज करते हुए दो टूक जवाब दिया कि वह अपनी विदेश नीति में संप्रभुता और कूटनीतिक मूल्यों को प्राथमिकता देता है.
मलेशिया का संतुलित रुख
मलेशिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी एक पक्ष के धार्मिक या राजनीतिक दबाव में नहीं आएगा. उसने भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" कार्यक्रम को पूरी तरह से समर्थन देते हुए यह संकेत दिया कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को अलग-थलग करने की रणनीति अब असरदार नहीं रही.
कश्मीर मुद्दे पर भी नहीं मिला साथ
पाकिस्तान इस समय कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन मलेशिया का यह फैसला दिखाता है कि अब बहुत से देश पाकिस्तान के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं. इसके बजाय वे शांति, संवाद और निष्पक्षता को प्राथमिकता दे रहे हैं.
भारत का सख्त रुख और समर्थन
मलेशिया दौरे के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वहां के पीपल्स जस्टिस पार्टी (PKR) से मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराया. यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है.