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India-US-China Trade War: अमेरिकी विधेयक में भारत-चीन पर 500% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव, रूस से व्यापार करने पर भारी दंड की तैयारी

India-US-China Trade War: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित अमेरिकी विधेयक में रूस से व्यापार करने वाले देशों, विशेष रूप से भारत और चीन पर 500% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है. सीनेटर लिंडसे ग्राहम के अनुसार, रूस के तेल की खरीद पुतिन की युद्ध मशीन को चला रही है, इसलिए ऐसे देशों पर आर्थिक दबाव बनाना ज़रूरी है. इस प्रस्ताव से अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है.

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Sagar Bhardwaj

India-US-China Trade War: अमेरिका में प्रस्तावित एक नए विधेयक ने वैश्विक राजनीति और व्यापार जगत में हलचल मचा दी है. रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तावित और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित इस विधेयक में रूस से व्यापार जारी रखने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने की बात कही गई है. इसका मुख्य उद्देश्य रूस को यूक्रेन युद्ध के मामले में बातचीत की मेज पर लाना और उसे आर्थिक रूप से अलग-अलग करना है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विधेयक के अनुसार, भारत और चीन जैसे देश, जो अभी भी रूस से तेल और अन्य उत्पाद खरीदते हैं, उन्हें अमेरिकी बाजार में अपने निर्यात पर भारी शुल्क का सामना करना पड़ सकता है. एक इंटरव्यू में सीनेटर ग्राहम ने साफ कहा, "अगर आप रूस से उत्पाद खरीदते हैं और यूक्रेन की सहायता नहीं करते हैं, तो अमेरिका में आपके उत्पादों पर 500% टैरिफ लगाया जाएगा। भारत और चीन मिलकर पुतिन के लगभग 70% तेल की खरीद करते हैं, जिससे उसकी युद्ध मशीन चल रही है."

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक समझौते 

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर गंभीर बातचीत चल रही है. इस प्रस्ताव से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव आ सकता है. भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे उसकी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होती है. वहीं, चीन भी रूस से व्यापक व्यापारिक संबंध बनाए हुए है.

विदेश नीति और व्यापार नीति में बदलाव

ट्रंप द्वारा इस विधेयक को समर्थन देने से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि यदि वह फिर से राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो अमेरिका की विदेश नीति और व्यापार नीति में बड़ा बदलाव आ सकता है. प्रस्तावित टैरिफ न केवल आर्थिक दबाव का साधन हैं, बल्कि ये अमेरिका की विदेश नीति को एक नई दिशा देने की कोशिश भी हैं, जिसमें सहयोगी देशों पर भी कठोर शर्तें लागू की जा सकती हैं.

वैश्विक व्यापार में अस्थिरता

हालांकि, इस प्रस्ताव को कांग्रेस में पारित कराना आसान नहीं होगा. कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का कदम अमेरिका के रणनीतिक साझेदारों, खासकर भारत के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है और वैश्विक व्यापार में अस्थिरता ला सकता है.