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India Daily

पाकिस्तान में उफान पर TLP का विरोध, इंटरनेट ब्लैकआउट, सड़कों पर हिंसक झड़पें

शुक्रवार को TLP समर्थकों ने लाहौर से इस्लामाबाद की ओर कूच किया, लेकिन रास्ते में पुलिस की सख्ती ने हालात बिगाड़ दिए. लाहौर के TLP मुख्यालय पर बुधवार रात को पंजाब पुलिस का छापा मारा गया था, जहां प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई. इस दौरान हुई झड़पों में TLP का दावा है कि उसके एक कार्यकर्ता की जान चली गई और 20 से अधिक घायल हुए.

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Edited By: Gyanendra Sharma
TLP protests
Courtesy: Social Media

Pakistan Protest: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और प्रमुख शहरों में तनाव चरम पर पहुंच गया है. तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के विरोध प्रदर्शन ने पूरे देश को हिला दिया है.  इजरायल की गाजा नीतियों और अमेरिका के कथित समर्थन के खिलाफ शुरू हुए यह मार्च अब हिंसक रूप धारण कर चुका है.  लाहौर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं.  सरकार ने राजधानी को किले में बदल दिया है. सड़कें सील, इंटरनेट सेवाएं निलंबित और सेना तैनात करना पड़ा है.

शुक्रवार को TLP समर्थकों ने लाहौर से इस्लामाबाद की ओर कूच किया, लेकिन रास्ते में पुलिस की सख्ती ने हालात बिगाड़ दिए.  लाहौर के TLP मुख्यालय पर बुधवार रात को पंजाब पुलिस का छापा मारा गया था, जहां प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई.  इस दौरान हुई झड़पों में TLP का दावा है कि उसके एक कार्यकर्ता की जान चली गई और 20 से अधिक घायल हुए.  दूसरी ओर, पुलिस के अनुसार, एक प्रदर्शनकारी और एक कांस्टेबल की मौत हुई, जबकि 12 पुलिसकर्मी चोटिल हुए. 

लाहौर की सड़कों पर कंटेनर लगाकर रास्ते रोके गए

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, तो जवाब में वॉटर कैनन, आंसू गैस और हस्त ग्रेनेड का सहारा लिया गया.  लाहौर की सड़कों पर कंटेनर लगाकर रास्ते रोके गए, लेकिन TLP कार्यकर्ता लाखों की संख्या में जुटे और राजधानी की ओर बढ़ते रहे.  इस्लामाबाद के फजाबाद इंटरचेंज पर भारी बैरिकेडिंग की गई, जहां TLP ने अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन की योजना बनाई थी.  रावलपिंडी में भी धारा 144 लागू कर जुलूसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया. 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी की, जबकि पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई ने माहौल को और भड़का दिया.  

क्यों भड़का यह आंदोलन? 

TLP ने इस मार्च को 'अक्सा मिलियन मार्च' नाम दिया है, जो फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता का प्रतीक बताया जा रहा है.  संगठन का कहना है कि इजरायल की गाजा में जारी कार्रवाई और अमेरिका की कथित साजिश के खिलाफ यह विरोध आवश्यक है. TLP प्रवक्ता ने कहा, "हम गाजा के मासूमों के लिए आवाज उठा रहे हैं.  पाकिस्तान सरकार का इस 'गाजा डील' में शामिल होना इस्लाम और फिलिस्तीन के साथ विश्वासघात है. " 

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रदर्शन TLP की सियासी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है.  2021 में प्रतिबंधित होने के बाद नवंबर में फिर से वैधता पाने वाली TLP ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट के चुनावी सुधारों के खिलाफ लंबे धरना देकर सरकार को झुकाया था.  अब शहबाज शरीफ सरकार और सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर 'अमेरिकी दबाव में झुकने' का आरोप लगाकर TLP जनसमर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है.  आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा, यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं, बल्कि अराजकता फैलाने की साजिश है. 

 इंटरनेट ब्लैकआउट और लॉकडाउन

प्रदर्शन को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने कड़े कदम उठाए.  इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट और 3G/4G सेवाएं रात 12 बजे से अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गईं.  पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) को निर्देश जारी किए गए.  प्रमुख सड़कों पर कंटेनर लगाकर ब्लॉकेज किया गया, और रेड जोन को पूरी तरह सील कर दिया.  केवल अधिकृत वाहनों को मार्गल्ला रोड से प्रवेश की अनुमति है. 

पंजाब प्रांत में 100 से अधिक TLP नेताओं को हिरासत में लिया गया, जिनके पास लाठियां, रसायन, ग्लास मार्बल और हथियार बरामद हुए.  सूत्रों के अनुसार, सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है.  इन कदमों से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है.