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न प्रधानमंत्री, न ही राष्ट्रपति... रिटायरमेंट के बाद असीम मुनीर का होगा ये हश्र! शहबाज शरीफ के सलाहकार ने कर दिया बड़ा खुलासा

हालांकि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान ने ये बयान मुनीर की राजनीतिक आकांक्षाओं की अफवाहों को शांत करने के उद्देश्य से दिया, लेकिन उनके बयान ने उस अशांत नागरिक-सैन्य संतुलन को भी उजागर कर दिया है जो पाकिस्तानी लोकतंत्र के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब रहा है.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Shehbaz Sharif adviser Rana Sanaullah & Asim Muneer
Courtesy: Social Media

Pakistani Army Chief Asim Munir: पाकिस्तान का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर डांवाडोल नज़र आ रहा है. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख फ़ील्ड मार्शल असीम मुनीर के भविष्य को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है और ज़ोर देकर कहा है कि इस शक्तिशाली जनरल की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. एक पाकिस्तानी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में सनाउल्लाह ने कहा कि "मुनीर सेवानिवृत्ति के बाद सीधे घर जाएँगे और न तो प्रधानमंत्री भवन और न ही राष्ट्रपति भवन उनका ठिकाना होगा।"

हालांकि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान ने ये बयान मुनीर की राजनीतिक आकांक्षाओं की अफवाहों को शांत करने के उद्देश्य से दिया, लेकिन उनके बयान ने उस अशांत नागरिक-सैन्य संतुलन को भी उजागर कर दिया है जो पाकिस्तानी लोकतंत्र के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान वर्षों से मुनीर पर खुद के लिए राजनीतिक सत्ता हथियाने की चाहत रखने का आरोप लगाते रहे हैं और शायद इसलिए, सनाउल्लाह की ने मुनीर का बचाव करते हुए आलोचकों को जवाब देते हुए ये बयान दिया है. उन्होंने कहा कि "सेना प्रमुख का कोई निजी एजेंडा नहीं है."

पाकिस्तान की राजनीति में व्याप्त गहरे अविश्वास को रेखांकित करती है सनाउल्लाह की ये टिप्पणी

सनाउल्लाह की ये टिप्पणी पाकिस्तान की राजनीति में व्याप्त गहरे अविश्वास को भी रेखांकित करती है. अक्सर पाकिस्तानी नेता सेना के बारे में संभलकर बोलते रहे हैं, अन्यथा उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर सताता रहता है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान द्वारा यह स्पष्ट करने की कोशिश करना कि कि 'सेना प्रमुख का कोई एजेंडा नहीं है', अपने आप में इस बात की याद दिलाती है कि सेना राजनीतिक मामलों में कितनी गहराई तक पैठ बनाए हुए हैं. 

पाकिस्तान में शासन पर हावी होता रहा है राजनीतिक प्रतिशोध

सनाउल्लाह ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि "दोनों दल दुश्मन नहीं हैं। पीपीपी के साथ कोई समस्या नहीं है. दोनों दलों ने कई बार साथ काम किया है. जहां एक दल के मन में कुछ दुश्मनी है, वहीं पीएमएल-एन इसका जवाब नहीं देना चाहती." लेकिन उनका आश्वासन ऐसे देश में खोखला ही प्रतीत होता है, जहां गठबंधन रातों-रात बदल जाते हैं और राजनीतिक प्रतिशोध शासन पर हावी हो जाता है. अलग पाकिस्तान राष्ट्र के निर्माण के बाद से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.