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India Daily

'नोबेल अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है, किसी को भी दिया जा रहा है...', ट्रंप को पुरस्कार ना मिलने पर भड़के पुतिन

Nobel Peace Prize 2025: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को नोर्वे की नोबेल समिति के उस फैसले पर प्रतिक्रिया दी जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया. इस वर्ष यह पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो को प्रदान किया गया है.

Nobel Peace Prize 2025
Courtesy: X/ @InfinaAlerts

Nobel Peace Prize 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपना नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सबसे आगे रख रहे थे, लेकिन उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला और नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता और लोकतंत्र सेनानी मारिया कोरिना मचाडो को दे दिया.

इस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को नॉर्वे नोबेल समिति के उस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया है. इस वर्ष यह पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है.

'पुरस्कार की प्रतिष्ठा अब काफी हद तक खो चुकी'- पुतिन 

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा के कुछ घंटे बाद ही पुतिन ने ट्रंप के पक्ष में टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने विश्व शांति के लिए काफी कुछ किया है. पुतिन ने विशेष रूप से मध्य पूर्व का उदाहरण देते हुए कहा, “ट्रंप ने शांति की दिशा में कई कदम उठाए हैं, और हालिया इजरायल-गाजा संघर्ष विराम इसका अच्छा उदाहरण है.”

गौरतलब है कि गुरुवार को  इजरायल और गाजा के बीच हुए संघर्ष को खत्म करने के लिए एक सीजफायर समझौता हुआ था, जो शुक्रवार से प्रभावी हुआ. इस समझौते को लेकर ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा बटोरी थी और इसे उनके प्रयासों का परिणाम बताया जा रहा था.

पुतिन ने अपने बयान में यह भी कहा कि नोबेल समिति ने कई बार ऐसे लोगों को पुरस्कार दिया है जिन्होंने वास्तव में शांति के लिए कोई ठोस योगदान नहीं किया. उन्होंने तीखा टिप्पणी करते हुए कहा कि पुरस्कार की प्रतिष्ठा अब काफी हद तक खो चुकी है.

ट्रंप इसके योग्य हैं या नहीं

हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मैं यह नहीं कह सकता कि ट्रंप इसके योग्य हैं या नहीं.” इस बयान से यह स्पष्ट हुआ कि पुतिन ने ट्रंप के पक्ष में समर्थन तो जताया, लेकिन उन्होंने पुरस्कार के फैसले पर कोई सीधी आपत्ति नहीं जताई. विश्लेषकों के अनुसार, पुतिन के इस बयान को पश्चिमी देशों के प्रति रूस की निरंतर आलोचना नीति के रूप में देखा जा सकता है.

उन्होंने बार-बार नोबेल पुरस्कार समितियों और पश्चिमी संस्थानों पर "राजनीतिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पिछले कुछ वर्षों में कई बार कहा है कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए था, खासकर मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते पर उनके काम और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने के उनके प्रयासों के लिए.

इस बीच वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को उनके लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष के लिए इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. नोबेल समिति के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है: क्या शांति पुरस्कार अब अपने पारंपरिक उद्देश्य से भटक गया है?