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India Daily

पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में बुलाई थी मुस्लिम देशों की बैठक, तालिबान ने दिखा दिया अंगूठा, हो गई इंटरनेशनल बेइज्जती!

विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के अधिकार को लेकर लगातार अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद तालिबान सरकार ने अपने फैसले पर अडिग रहकर इस स्थिति को और जटिल बना दिया है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Taliban decline Pakistan invitation to Muslim nations summit in Islamabad
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में तालिबान के प्रतिनिधियों का न होना, एक बड़ी खबर के रूप में सामने आई है. इस सम्मेलन में विशेष रूप से मुस्लिम देशों में लड़कियों की शिक्षा पर चर्चा होनी थी, और तालिबान को भी इसमें भाग लेने के लिए निमंत्रित किया गया था. हालांकि, तालिबान ने इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया. यह सम्मेलन पाकिस्तान द्वारा आयोजित किया गया था और इसे इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) द्वारा समर्थित किया गया था.

सम्मेलन का उद्देश्य

इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य मुस्लिम बहुल देशों में विशेष रूप से अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा में सुधार करना था. पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री, खालिद मक़बूल सिद्दीकी ने पुष्टि की कि तालिबान ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया. उन्होंने कहा, "हमने अफगानिस्तान को निमंत्रण भेजा था, लेकिन अफगान सरकार का कोई भी प्रतिनिधि सम्मेलन में उपस्थित नहीं था."

यह शिखर सम्मेलन दो दिनों तक चला और इसमें मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर उन सिस्टमेटिक समस्याओं पर चर्चा की, जो लड़कियों की शिक्षा में रुकावट डालती हैं, खासकर अफगानिस्तान जैसे देशों में.

तालिबान की नीति और महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध

तालिबान द्वारा महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंधों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा है. 2021 में तालिबान के पुनः सत्ता में आने के बाद, अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए कक्षा छठी से आगे की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, साथ ही विश्वविद्यालयों में भी लड़कियों की उपस्थिति पर रोक लगा दी गई है.

तालिबान की यह नीति अफगान महिलाओं के लिए कई अन्य मौलिक अधिकारों की भी अवहेलना करती है, जैसे कि रोजगार, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति, और मुक्त आंदोलन. इन कदमों को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 'लिंग आधारित उत्पीड़न' और 'लिंग Apartheid' के रूप में वर्णित किया है.

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और स्थिति

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की स्थिति को लेकर कई बार चिंता जताई है. लेकिन, तालिबान के शासन में अब तक इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है.