चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल 2026 के मौके पर राष्ट्र के नाम दिए गए अपने टीवी संबोधन में साफ शब्दों में चीन की मंशा जाहिर कर दी. उन्होंने ताइवान, चीन की सैन्य ताकत और ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे विशाल बांध का जिक्र करते हुए यह दिखाया कि आने वाले समय में चीन अपने बड़े रणनीतिक फैसलों से पीछे हटने वाला नहीं है.
अपने संदेश में जिनपिंग ने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर रहने वाले लोग एक ही खून और संस्कृति से जुड़े हैं. उन्होंने दो टूक कहा कि चीन और ताइवान का एकीकरण होकर रहेगा और इसे कोई ताकत नहीं रोक सकती. जिनपिंग के मुताबिक, “मातृभूमि का पुनर्मिलन समय की जरूरत है और यह ऐतिहासिक प्रक्रिया है.”
JUST IN: 🇨🇳 Chinese President Xi Jinping’s full 2026 New Year address with English subtitles. pic.twitter.com/HnhB0gCXMC
— BRICS News (@BRICSinfo) December 31, 2025
जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब चीन की सेना ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही है. लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों, ड्रोन और विमानवाहक पोतों के साथ यह हाल के वर्षों का सबसे बड़ा अभ्यास माना जा रहा है. 2022 के बाद यह छठा मौका है, जब चीन ने ताइवान के नजदीक अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है.
अपने संबोधन में जिनपिंग ने तिब्बत क्षेत्र में यारलुंग जांग्बो नदी, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है, पर बन रहे विशाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया. करीब 170 अरब डॉलर की लागत से बन रहा यह बांध दुनिया का सबसे बड़ा माना जा रहा है. यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश की सीमा के बेहद पास है, जिससे भारत और बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों में बाढ़ या जल संकट की आशंका बढ़ गई है.
जिनपिंग ने चीन की सैन्य और तकनीकी प्रगति की भी सराहना की. उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटपुल्ट सिस्टम से लैस चीन का पहला विमानवाहक पोत ‘फूजियान’ नौसेना में शामिल हो चुका है. यह तकनीक अब तक सिर्फ अमेरिका के पास थी.
शी जिनपिंग के इस सख्त संदेश के बाद ताइवान के साथ-साथ भारत और अन्य पड़ोसी देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन आने वाले वर्षों में और आक्रामक रणनीति अपना सकता है.