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अब धरती पर आएगा प्रलय! सूर्य की बढ़ती तपिश से तबाह हो जाएंगे इंटरनेट, पावरग्रिड, इंसान के शरीर पर होगा ये घातक असर

नासा के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि सूरज अपनी शांत अवस्था से बाहर निकल रहा है और सौर विस्फोटों की संख्या बढ़ रही है. इससे इंटरनेट, जीपीएस, बिजली ग्रिड और उपग्रहों को नुकसान हो सकता है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Sun
Courtesy: pexels

सूरज, जो हमारी धरती को ऊर्जा और जीवन देता है, अब एक नए और चिंताजनक रूप में सामने आ रहा है. नासा के वैज्ञानिकों ने हाल ही में खुलासा किया है कि सूरज अपनी निष्क्रिय अवस्था से जाग रहा है और सौर विस्फोटों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ये विस्फोट न केवल हमारे इंटरनेट और उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि मौसम में बदलाव, लोगों की नींद और मनोदशा पर भी असर डाल सकते हैं. The Astrophysical Journal Letters में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने इन खतरों को रेखांकित किया है, जिसने वैज्ञानिकों को सूरज की गतिविधियों पर गहन शोध के लिए प्रेरित किया है.

लगातार धधक रहा सूर्य

वैज्ञानिकों ने पहले माना था कि सूरज हर 11 साल में एक चक्र पूरा करता है, जिसमें सक्रियता और शांति के दौर आते हैं. लेकिन हाल के अध्ययनों से पता चला है कि सूरज अपनी शांत अवस्था, जिसे 'सौर न्यूनतम' कहा जाता है, से बाहर निकल रहा है. 2008 से सूरज की गतिविधियों, जैसे सौर हवाएं, चुंबकीय क्षेत्र की ताकत और सनस्पॉट्स की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. खास तौर पर, सूरज ने पिछले 20 सालों में सबसे अधिक सनस्पॉट्स और शक्तिशाली X-श्रेणी के सौर विस्फोट दर्ज किए हैं. यह स्थिति वैज्ञानिकों के लिए अप्रत्याशित थी, क्योंकि उनका अनुमान था कि सूरज लंबे समय तक शांत रहेगा.

पृथ्वी पर क्या होगा प्रभाव

सूरज की बढ़ती गतिविधि ने पृथ्वी पर कई बड़े भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न किए हैं. मई 2024 में ऐसा ही एक तूफान आया, जिसने सदियों में सबसे खूबसूरत औरोरा प्रदर्शन तो दिखाया, लेकिन 400 मिलियन पाउंड का नुकसान भी पहुंचाया. ये तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बाधित करते हैं, जिससे बिजली ग्रिड, जीपीएस सिस्टम और उपग्रह प्रभावित होते हैं. कई उपग्रह सौर तूफानों के कारण अपनी कक्षा से हट सकते हैं या नष्ट हो सकते हैं. नासा के वैज्ञानिक जेमी जसिंस्की ने कहा कि ये घटनाएं अब सामान्य हो सकती हैं, जो तकनीकी बुनियादी ढांचे के लिए खतरा हैं.

मानव जीवन पर असर

सौर गतिविधियां केवल तकनीक तक सीमित नहीं हैं; इनका असर मानव शरीर और मन पर भी पड़ता है. अध्ययनों से पता चला है कि भू-चुंबकीय गतिविधियां लोगों की नींद, मूड और यहां तक कि हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं. ये तूफान तनाव, चिड़चिड़ापन और नींद की गड़बड़ी को बढ़ा सकते हैं. खासकर उन क्षेत्रों में जहां औरोरा जैसे दृश्य आम हैं, वहां लोग इन बदलावों को अधिक महसूस कर सकते हैं. यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी चिंताजनक है जो पहले से ही मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

वैज्ञानिकों की चिंता

नासा के प्लाज्मा भौतिक विज्ञानी जेमी जसिंस्की ने बताया कि सूरज की इस अप्रत्याशित गतिविधि का कारण अभी स्पष्ट नहीं है. वैज्ञानिक इसकी गहराई से जांच कर रहे हैं, लेकिन दीर्घकालिक रुझानों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. सूरज की गतिविधियां अगले कुछ दशकों तक बढ़ सकती हैं, जिससे हमें तकनीकी और जैविक चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सौर तूफानों के प्रभाव को कम करने के लिए नए उपाय खोजने होंगे. यह एक ऐसी चुनौती है, जिसका सामना पूरी दुनिया को एकजुट होकर करना होगा.