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सऊदी अरब ने खत्म किया कफाला सिस्टम, प्रवासी श्रमिकों को मिली आजादी और अधिकारों की राहत, जानिए इस नियम के बारे में

Saudi Arabia Kafala system: सऊदी अरब ने जून 2025 में घोषित कफाला सिस्टम को समाप्त कर लगभग 1.3 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को बड़ी राहत दी है. पहले विदेशी कामगार अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदल या देश छोड़ नहीं सकते थे.

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Edited By: Reepu Kumari
Saudi Arabia Kafala System
Courtesy: Pinterest

Saudi Arabia Kafala System: सऊदी अरब ने दशकों पुराने कफाला सिस्टम को खत्म कर प्रवासी श्रमिकों के जीवन में ऐतिहासिक बदलाव किया है. यह कदम श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है. कफाला सिस्टम, जिसे अक्सर 'आधुनिक गुलामी' कहा जाता था, विदेशी कामगारों को उनके नियोक्ता यानी कफ़ील के अधीन रखता था.

इसके तहत कर्मचारी न तो नौकरी बदल सकते थे, न देश छोड़ सकते थे और न ही कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते थे. जून 2025 में घोषित यह सुधार अब प्रभावी हो गया है और इसे Vision 2030 के तहत सऊदी अरब के व्यापक सुधारों का हिस्सा माना जा रहा है.

इस प्रणाली का असर

इस प्रणाली का असर विशेष रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लाखों प्रवासी कामगारों पर पड़ा, जिनमें भारतीय श्रमिकों की भी बड़ी संख्या शामिल है. कफाला सिस्टम मूल रूप से सस्ते विदेशी श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन समय के साथ यह शोषण का जरिया बन गया. नियोक्ता पासपोर्ट जब्त कर लेते, वेतन में देरी करते और श्रमिकों की आवाजाही पर रोक लगाते. नए कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयमेंट मॉडल से अब श्रमिक अपनी नौकरी बदलने और नए नियोक्ता के पास जाने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिससे उनके अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

कफाला सिस्टम- प्रवासी श्रमिकों की जंजीर

कफाला अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'स्पॉन्सरशिप'. यह प्रणाली 1950 के दशक से खाड़ी देशों में प्रचलित थी, जिसमें प्रत्येक विदेशी कामगार को एक स्थानीय नियोक्ता या कफ़ील के अधीन रखा जाता था. इस सिस्टम के तहत नियोक्ता के पास कर्मचारी के निवास, नौकरी और कानूनी स्थिति पर पूरा नियंत्रण होता था. श्रमिक बिना कफ़ील की अनुमति के नौकरी नहीं बदल सकते, देश नहीं छोड़ सकते और सरकारी सहायता तक नहीं ले सकते थे. शुरू में यह प्रणाली कामगारों की सुरक्षा और देखभाल के लिए बनाई गई थी, लेकिन समय के साथ यह शोषण और अत्याचार का माध्यम बन गई.

श्रमिकों पर शोषण और कठिनाइयां

कफाला सिस्टम में कई तरह के शोषण आम थे. नियोक्ता अक्सर श्रमिकों का पासपोर्ट जब्त कर लेते थे, वेतन में देरी करते या भुगतान नहीं करते थे. कर्मचारियों की आवाजाही पर रोक लगाई जाती थी और वे किसी भी कानूनी या प्रशासनिक सहायता तक पहुंच नहीं पा रहे थे. यहां तक कि अपने परिवार लौटने या घर जाने के लिए भी उन्हें अनुमति लेनी पड़ती थी. यह प्रणाली विदेशी श्रमिकों के लिए जीवन और स्वतंत्रता दोनों में बाधक बन गई थी.

Vision 2030 और कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयमेंट मॉडल

सऊदी अरब ने Vision 2030 के तहत व्यापक सुधारों की दिशा में कफाला सिस्टम को समाप्त किया. अब नया कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयमेंट मॉडल लागू किया गया है, जिसमें श्रमिक बिना पुराने नियोक्ता की अनुमति के नई नौकरी जॉइन कर सकते हैं. इसके अलावा, श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा को मजबूत किया गया है. यह कदम न केवल विदेशी कामगारों के लिए स्वतंत्रता का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सऊदी अरब की श्रम नीति में बदलाव का संकेत भी देता है.

प्रभाव और लाभ

इस सुधार से लगभग 1.3 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद है, जिनमें अधिकांश दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से हैं. भारतीय श्रमिकों की भी बड़ी संख्या इसमें शामिल है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण में सुधार करने के लिए ऐतिहासिक है. इसके अलावा, यह आधुनिक गुलामी जैसी आलोचनाओं को भी कम करेगा और सऊदी अरब को एक सुरक्षित और स्वतंत्र कार्य वातावरण प्रदान करेगा.