India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते पर जल्द ही मुहर लग सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच होने वाले इस समझौते में अमेरिकी आयात शुल्क को 50 प्रतिशत से घटाकर 15 से 16 प्रतिशत तक किया जा सकता है. माना जा रहा है कि इसका औपचारिक ऐलान इस महीने होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात में किया जा सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता मुख्य रूप से ऊर्जा और कृषि क्षेत्र से जुड़ा है. भारत धीरे-धीरे रूस से कच्चे तेल के आयात में कटौती कर सकता है. ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की है, जिसमें व्यापार पर विशेष चर्चा हुई. ऊर्जा क्षेत्र पर भी बातचीत हुई और मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत रूस से तेल खरीद में कमी लाएगा.
रूस से भारत की वर्तमान तेल आपूर्ति लगभग 34 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका से भारत अपनी कुल तेल और गैस जरूरतों का करीब 10 प्रतिशत मूल्य के हिसाब से प्राप्त करता है. अमेरिका ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत दंडात्मक कर लगाया था, जो पहले से लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के ऊपर था.
इस समझौते में भारत गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित (गैर-जीएम) अमेरिकी मक्का और सोयामील के लिए भी अपने बाजार और खोल सकता है. साथ ही भारत यह भी चाहता है कि समझौते में एक प्रावधान जोड़ा जाए जिसके तहत टैरिफ और मार्केट एक्सेस की समय-समय पर समीक्षा हो सके. भारत गैर-जीएम मक्का के आयात कोटा को भी बढ़ाने पर विचार कर रहा है, जो फिलहाल प्रति वर्ष 5 लाख टन है, जबकि 15 प्रतिशत आयात शुल्क बरकरार रहेगा.
भारत में पोल्ट्री फीड, डेयरी और एथेनॉल क्षेत्र में मक्का की बढ़ती मांग को देखते हुए अमेरिकी मक्का के लिए बाजार खोला जा सकता है. वहीं, सोयामील के आयात की अनुमति मानव और पशु दोनों के उपभोग के लिए दी जा सकती है. हालांकि, डेयरी उत्पादों पर शुल्क में कटौती को लेकर अभी स्पष्टता नहीं है.
ऊर्जा क्षेत्र में भारत अमेरिका से एथेनॉल आयात की अनुमति दे सकता है और धीरे-धीरे रूसी तेल पर निर्भरता घटा सकता है. बदले में अमेरिका ऊर्जा व्यापार पर रियायतें देने को तैयार है. भारतीय सार्वजनिक तेल कंपनियों को कच्चे तेल की आपूर्ति में विविधता लाने और अमेरिकी स्रोतों से खरीद बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. ट्रंप ने दावा किया कि मोदी ने रूस से तेल खरीद में कमी करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने ऐसी किसी बातचीत की जानकारी होने से इनकार किया है. भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि रूसी तेल खरीद केवल आर्थिक हितों के आधार पर तय की जाएगी.