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'जर्मनी यूक्रेन के साथ युद्ध में सीधे तौर पर शामिल...,' सर्गेई लावरोव ने दी चेतावनी

विशेषज्ञों का मानना है कि लावरोव के बयान रूस की नाटो के पूर्वी यूरोप में बढ़ते प्रभाव और यूक्रेन में पश्चिमी हस्तक्षेप के प्रति गंभीर चिंताओं को दर्शाते हैं.रूस का मानना है कि यूक्रेन में संघर्ष पश्चिमी उकसावे का परिणाम है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov and  Friedrich Merz
Courtesy: Social Media

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने नाटो (NATO) के निरंतर विस्तार और जर्मनी की सैन्य तैयारियों को लेकर गंभीर सुरक्षा चिंताएं जताई हैं. दरअसल, मॉस्को में आयोजित एक उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय मंच में बोलते हुए लावरोव ने कहा कि रूस की सीमाओं के पास नाटो सैनिकों की बढ़ती मौजूदगी "चिंताजनक" है और यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सीधा खतरा है.

जर्मनी की भूमिका पर उठे सवाल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपने बयान में जर्मनी की ऐतिहासिक भूमिका का जिक्र करते हुए नाटो और यूक्रेन के मुद्दे पर रूस की चिंताओं को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "20वीं सदी में दो बार जर्मनी यूरोप की प्रमुख शक्ति बना. और देखिए, इसने यूरोप के लोगों के लिए कितनी भयावहता लाई. उन्होंने जर्मनी के हालिया सैन्य विस्तार को रूस के लिए खतरे के रूप में देखा, जो जर्मनी ने रूसी आक्रामकता और अमेरिका के समर्थन में अनिश्चितता के डर से उचित ठहराया है. 

जर्मनी का सैन्य बजट और नाटो का विस्तार

जर्मनी ने मार्च 2025 में 550 अरब डॉलर का रक्षा कोष स्वीकृत किया, जिससे उसका सालाना डिफेंस बजट 68 अरब डॉलर से बढ़कर बख्तरबंद वाहन, हवाई रक्षा प्रणाली, युद्धपोत, जासूसी उपग्रह, रडार, रेडियो जैमर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी तकनीकों से लैस होगा. इसके अलावा, जर्मनी अपनी सेना (बुंडेसवेहर) में 20,000 अतिरिक्त सैनिक जोड़ेगा और लिथुआनिया में एक यंत्रीकृत ब्रिगेड तैनात करेगा. जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने इसे "रणनीतिक स्वतंत्रता" की जरूरत बताया, खासकर यदि यूक्रेन में रूस की जीत होती है.

यूक्रेन और नाटो पर रूस का रुख

लावरोव ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की संभावना को "वचन और शपथ का उल्लंघन" करार दिया. उन्होंने कहा, "शांति प्राप्त करने के लिए हमें संघर्ष के मूल कारणों को खत्म करना होगा." लावरोव ने 1990 में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा सोवियत नेताओं को दिए गए आश्वासनों का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि नाटो का पूर्व की ओर विस्तार नहीं होगा. हालांकि, ये आश्वासन लिखित संधि में शामिल नहीं थे और बाद में नाटो ने पूर्वी यूरोप में विस्तार किया.

यूक्रेन पर रूसी नजरिया 

लावरोव ने यूक्रेन पर "नाज़ीकरण" का आरोप लगाते हुए कहा कि यह रूस के हमले का एक कारण है. उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन ने रूसी भाषा पर प्रतिबंध लगाकर और ऑर्थोडॉक्स चर्च के साथ भेदभाव करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 1 का उल्लंघन किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कई बार यूक्रेन को "नाज़ी प्रभाव" से मुक्त करने और उसे डीमिलिटराइज़ करने की बात कही है.

वैश्विक स्थिरता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर

लावरोव ने पश्चिमी देशों पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का चयनात्मक उपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्थिरता तभी संभव है जब संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पूरी तरह से सम्मान किया जाए. उन्होंने "वैश्विक बहुमत" (ग्लोबल मेजॉरिटी) की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया, जो गैर-पश्चिमी देशों के वैश्विक मामलों में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है.

मर्ज के बयान पर मॉस्को की प्रतिक्रिया

लावरोव का यह बयान जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज के हालिया बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने यूक्रेन को दी गई मिसाइलों की रेंज प्रतिबंध हटा दिए हैं. मॉस्को ने इसे संघर्ष में भारी वृद्धि का कारण बताते हुए चेतावनी दी कि अब यूक्रेन पश्चिमी मिसाइलों से रूस के भीतर गहरे लक्ष्यों पर हमला कर सकता है.