मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को घोषणा की कि देश ने अपनी नई परमाणु-संचालित और परमाणु-सक्षम क्रूज मिसाइल ‘बुरेवेस्निक’ (Burevestnik) का अंतिम परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. उन्होंने इसे एक “अद्वितीय हथियार” बताते हुए दावा किया कि इसकी परिचालन सीमा 14,000 किलोमीटर तक है, जो इसे विश्व में सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक बनाती है.
नई मिसाइल प्रणाली को सेवा में होगा शामिल
क्रेमलिन द्वारा जारी एक वीडियो में पुतिन ने कहा कि निर्णायक परीक्षण अब पूर्ण हो चुके हैं. उन्होंने रूसी सेना को आदेश दिया है कि इस नई मिसाइल प्रणाली को सेवा में शामिल करने के लिए आवश्यक सैन्य ढांचा (infrastructure) तैयार किया जाए. पुतिन ने आगे कहा, “यह एक ऐसी अनोखी रचना है, जो दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है. बुरेवेस्निक की रेंज असीमित है और यह किसी भी दूरी पर स्थित लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है.”
रूस के सैन्य प्रमुख जनरल वैलेरी गेरेसिमोव ने बताया कि 21 अक्टूबर को किए गए नवीनतम परीक्षण के दौरान यह मिसाइल लगभग 15 घंटे तक हवा में रही और करीब 14,000 किलोमीटर की दूरी तय की. उन्होंने कहा कि यह दूरी इस मिसाइल की अधिकतम सीमा नहीं है, बल्कि इससे भी आगे तक इसकी क्षमता हो सकती है.
PUTIN is back in Military Uniform
— 𝐃𝐚𝐯𝐢𝐝 𝐙 🇷🇺 🇷🇺 (@SMO_VZ) October 26, 2025
🇷🇺 Putin’s statements during his visit to the Joint Forces Command Center:
❗️Russia's nuclear shield has proven its reliability — Putin
⚡️Burevestnik missile tests completed — Putin
⚡️The Burevestnik nuclear-powered cruise missile is a… https://t.co/dz6WVgaoqB pic.twitter.com/rB14GSJGnh
गेरेसिमोव के अनुसार, “बुरेवेस्निक के तकनीकी गुण इसे अत्यंत संरक्षित ठिकानों को भी सटीकता से निशाना बनाने में सक्षम बनाते हैं, चाहे वे किसी भी दूरी पर क्यों न हों.” राष्ट्रपति पुतिन ने पहली बार 2018 में इस मिसाइल प्रणाली के विकास की घोषणा की थी. उस समय उन्होंने कहा था कि यह हथियार रूस की रणनीतिक प्रतिरोध क्षमता (strategic deterrence) को और मजबूत करेगा तथा किसी भी संभावित खतरे के खिलाफ देश को सुरक्षा प्रदान करेगा.
यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच यह घोषणा रूस की सैन्य शक्ति का एक बड़ा प्रदर्शन मानी जा रही है. विश्लेषकों का कहना है कि बुरेवेस्निक जैसी लंबी दूरी की परमाणु-सक्षम मिसाइल वैश्विक सामरिक संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. रूस का यह दावा न केवल पश्चिमी देशों को संदेश देने वाला है, बल्कि यह दर्शाता है कि मॉस्को अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी को नए स्तर पर ले जा रहा है.