Pakistan UN Demands: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल पाकिस्तान को उस समय बड़ा झटका लगा, जब उसकी चार अहम आतंकवाद-रोधी समितियों की अध्यक्षता की मांग ठुकरा दी गई. पाकिस्तान ने 1267 प्रतिबंध समिति, 1540 (गैर-प्रसार) समिति, 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति और 1373 काउंटर टेररिज्म कमिटी (CTC) की अध्यक्षता की मांग की थी. लेकिन अंततः उसे केवल 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता और 1373 CTC की उपाध्यक्षता ही दी गई.
भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, यह स्थिति पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटती विश्वसनीयता को दर्शाती है. 'पाकिस्तान, तमाम बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद, अपनी मर्जी नहीं चला पाया,' एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया. भारत ने 2022 में 1373 CTC की अध्यक्षता की थी और 2011-12 के कार्यकाल में भी यह जिम्मेदारी संभाली थी.
पाकिस्तान की ‘अनुचित’ और ‘अहंकारी’ मांगों के चलते, संयुक्त राष्ट्र में समितियों का आवंटन करीब पांच महीने तक टल गया. एक अधिकारी के मुताबिक, 'आवंटन जनवरी 2025 तक हो जाना चाहिए था, लेकिन पाकिस्तान की जिद के चलते जून 2025 तक प्रक्रिया लंबित रही.'
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य—चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका—ने किसी समिति की अध्यक्षता में दिलचस्पी नहीं दिखाई. उनका मानना है कि अध्यक्ष पद की भूमिका सीमित होती है क्योंकि निर्णय सर्वसम्मति से ही लिए जाते हैं. हालांकि, अध्यक्षता पाने वाले देशों को मंच मिलता है ‘शोर मचाने’ का, जो पाकिस्तान अक्सर करता रहा है.
हालांकि पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता मिली है, लेकिन भारत के लिए राहत की बात यह है कि इसमें रूस और गुयाना जैसे मित्र देशों को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'भारत परिषद में अपने मित्र देशों के साथ मिलकर काम करेगा.' UNSC में पाकिस्तान को केवल तालिबान समिति की अध्यक्षता और CTC की एक अल्प प्रभावी उपाध्यक्षता मिली है. यह उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और भरोसे की गिरती साख का परिणाम है.