India-russia Relationship: रूस ने बुधवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और टैरिफ से भारत को तेल आपूर्ति प्रभावित होने की चिंताओं को खारिज कर दिया. वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने कहा कि मॉस्को के पास ऊर्जा व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए दंडात्मक उपायों से बचने के लिए एक बहुत ही विशेष तंत्र है.
रूस रक्षा क्षेत्र में भी भारत का पसंदीदा साझेदार बना हुआ है और मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई शत्रुता, एस-400 वायु रक्षा प्रणाली जैसे रूसी हथियारों के लिए एक बेहद सफल युद्ध परीक्षण साबित हुई. प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में एक वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आएंगे, हालाँकि तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं.
भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार
चीन के बाद भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है और देश की ऊर्जा आपूर्ति का लगभग 40% हिस्सा मास्को से आता है. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. अमेरिका 28 अगस्त से रूसी तेल खरीद पर भारतीय निर्यात पर 25% दंडात्मक शुल्क लगाने वाला है, जो 25% पारस्परिक शुल्क के अतिरिक्त होगा. हालांकि, बाबुश्किन और उप व्यापार आयुक्त एवगेनी ग्रिवा को विश्वास था कि रूस, भारत के साथ ऊर्जा व्यापार पर अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के दबाव को दरकिनार करने में सक्षम होगा.
बाबुश्किन ने आगे कहा कि यह पहली बार नहीं है जब हमारे व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को बाहरी कारकों से ख़तरा हुआ है. लेकिन हर बार, हम अपने आपसी राष्ट्रीय हितों के आधार पर आगे सहयोग करने के तरीके खोजने में सफल रहे हैं. हमें पूरा विश्वास है कि हमारा सहयोग जारी रहेगा.
अधिकारियों ने बताया कि गुजरात स्थित वाडिनार रिफाइनरी, जिसका स्वामित्व रूसी ऊर्जा दिग्गज रोसनेफ्ट और एक निवेश संघ के पास है, को जुलाई में यूरोपीय संघ के प्रतिबंध पैकेज के तहत निशाना बनाए जाने के बाद से तेल आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई है. वाडिनार संयंत्र, जिसमें रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है भारत की दूसरी सबसे बड़ी एकल-साइट रिफाइनरी है जिसकी वार्षिक क्षमता 20 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) है.
प्रतिबंधों का रूसी तेल व्यापार पर असर नहीं पड़ेगा
बाबुश्किन ने कहा कि यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए हालिया प्रतिबंधों का रूसी तेल व्यापार पर ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि हम हाल के वर्षों में यूरोपीय संघ द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर अपनी निर्भरता को काफ़ी कम करने में कामयाब रहे हैं. हालांकि, अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पश्चिमी टैरिफ और प्रतिबंधों के बीच तेल आयात की कीमतों में 5% का उतार-चढ़ाव संभव है, हालांकि यह बातचीत का विषय होगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस लगभग 10% वार्षिक स्थिर वृद्धि के बल पर, 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर हैं.