मिडिल ईस्ट एक बार फिर बड़े संघर्ष की आग में झुलसता दिख रहा है. इज़रायल, जो पहले से ही गाज़ा और ईरान के मोर्चों पर सक्रिय है, अब उसने सीरिया पर भी खुलकर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है. सोमवार से जारी हमलों में दमिश्क के रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया गया, जिससे पूरे शहर में दहशत फैल गई। इज़रायल ने यह हमला ड्रूज़ समुदाय के समर्थन में किया है, जो इस समय सीरियाई सेना से जूझ रहा है.
दक्षिणी सीरिया के स्वेइदा शहर में पिछले कुछ दिनों से सरकार समर्थित बलों और ड्रूज़ समुदाय के लड़ाकों के बीच भयंकर संघर्ष जारी है. इन झड़पों में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. ड्रूज़ धार्मिक नेताओं का कहना है कि सीरियाई सेना उनके समुदाय को बर्बरता से निशाना बना रही है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इज़रायल ने चेतावनी दी थी कि अगर यह हिंसा नहीं रुकी, तो वह सीरिया की सेना को निशाना बनाएगा. चेतावनी के बाद इज़रायल ने दमिश्क और अन्य इलाकों में एयरस्ट्राइक शुरू कर दी है.
इज़रायली हमलों के बाद दमिश्क में जोरदार धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं और आसमान में धुएं के गुबार नजर आए. रक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग को पूरी तरह तबाह कर दिया गया. लोगों में दहशत का माहौल है. सरकारी मीडिया ने पुष्टि की कि ये हमले इज़रायल द्वारा किए गए हैं. इज़रायल के रक्षा मंत्री ने पहले ही चेतावनी दी थी कि 'दर्दनाक प्रहार' किए जाएंगे, जो अब ज़मीनी हकीकत बनते दिख रहे हैं.
वहीं स्वेइदा में हो रही हिंसा की अमेरिका ने निंदा की है. अमेरिकी विशेष दूत टॉम बैरक ने पूरे घटनाक्रम पर कहा कि नागरिकों और अल्पसंख्यकों पर हमला स्वीकार्य नहीं है. सभी पक्षों को तुरंत पीछे हटना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए. वहीं ड्रूज़ समुदाय जो सीरिया, लेबनान, इज़रायल और जॉर्डन में फैला हुआ है, इन घटनाओं से गहरे सदमे में है. इज़रायल में करीब 1.5 लाख ड्रूज़ रहते हैं, जो इज़रायली नागरिक हैं और सेना में भी सेवा देते हैं.
ड्रूज़ समुदाय एक अलग धार्मिक पहचान रखता है, जिसकी उत्पत्ति 11वीं सदी में मिस्र में हुई थी. यह इस्लाम से जुड़ा एक अलग धर्म है, जिसमें हिन्दू और बौद्ध दर्शन की झलक भी मिलती है. सीरिया में करीब 7 लाख ड्रूज़ रहते हैं, जिनमें अधिकांश स्वेइदा क्षेत्र में बसते हैं. वहीं गोलान हाइट्स में भी 29 हजार से ज्यादा ड्रूज़ मौजूद हैं, जिन्होंने इज़रायली नागरिकता लेने से इनकार कर दिया है.