Year Ender 2023: इस दुनिया में बीत रहा हर पल बेशकीमती है. किसी के लिए समय की अहमियत सबसे ज्यादा है तो किसी के लिए समय की कीमत एक माचिश की तीली जैसी है जो जली और बुझ गई. हर बीत रहा पल अपने आप में न जाने कितने रहस्यों, किस्सों, घटनाओं को अपने साथ लेकर इतिहास के गर्त में समाता जा रहा है. मानव अपने ज्ञात अस्तित्व की सबसे उन्नत सदी में जी रहा है. हम कुछ दिनों के बाद 21 वीं सदी के एक और वर्ष 2023 को अलविदा कह देंगे. नए वर्ष के स्वागत के लिए, नई चुनैतियों के लिए हम तैयार खड़े होंगे. मगर कोई साल इसलिए नहीं समाप्त होता क्योंकि मानव गणना द्वारा निर्धारित उसकी अवधि समाप्त हो गई बल्कि यह उन घटनाओं के लिए हमेशा याद रखा जाता है जिसे मानव ने चुकाया है.
बीत रहा यह साल कई मायनों में ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा. पहले ही संकटों से जूझ रही दुनिया साल 2022 में शुरू हुई रूस यूक्रेन जंग की समाप्ति की प्रतीक्षा कर रही थी तो 2023 में एक और जंग ने दुनिया के दर पर दस्तक दे दी. पर्यावरणीय चुनौतियों, वैश्विक अस्थिरता के तनाव भरे माहौल, जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी दशाओं से उत्पन्न मानवीय संकट, प्राकृतिक आपदाओं से हुई मानव तबाही, दुनियाभर में छायी आर्थिक अस्थिरता, सत्ता परिवर्तन, जैसे कारकों ने पूरी दुनिया के सहअस्तित्व के सामने बड़ा संकट पैदा किया है.
वैश्विक शक्तियों के बीच तनाव ने पूरी दुनिया को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है. इस साल विपरीत हितों वाले देशों ने जहां साथ आकर विश्व शांति में सहयोग करने की चाह दिखाई वहीं कुछ देशों ने उसको एक योजना और अपने शक्ति के विस्तार के तौर पर देखा. इस दौरान भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा इस हद तक बढ़ गई कि प्रतिद्वंद्वी राष्ट्राध्यक्षों के बीच बैठक पहले पन्ने की खबर बन गई, भले ही उनकी बातचीत से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई. इसी कड़ी में हम आपको दुनिया की उन विशेष घटनाओं से रू-ब-रू कराएंगे जिसने 2023 की नए सिरे से पटकथा लिखी......
रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला किया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस का यह अब तक का सबसे बड़ा युद्ध है. हालांकि रूस इसे केवल सैन्य ऑपरेशन कहता रहा है. इस युद्ध में लाखों लोगों का विस्थापन हुआ. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस युद्ध में 30,000 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो चुकी है. वहीं 15,000 से ज्यादा सैनिक अभी भी लापता हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक, रूस के इस आक्रमण में यूक्रेन के लगभग 10,000 नागरिकों की मौत हुई है और 17000 से ज्यादा सिविलियन्स घायल हुए हैं.
आज से डेढ़ सौ साल पहले कहा जाता था पश्चिम की ओर चलो लेकिन आज के समय में यह परिभाषा बदल चुकी है अब कहा जाता है कि अंतरिक्ष की ओर चलो. इस साल 77 देशों और स्पेस एजेंसियों ने धरती के बाहरी वातावरण को जानने के लिए अपने पेलोड्स भेजे. इन सबके केंद्र में चांद का अन्वेषण शामिल था. इसमें रूस के लूना मिशन को जहां नाकामी का सामना करना पड़ा वहीं भारत ने अपने चंद्रयान-3 मून साउथ पोल पर उतारकर जगत को अपनी वैज्ञानिक मेधा का परिचय दिया. इसके कुछ दिनों बाद ही भारत ने सूरज का अध्ययन करने के लिए सफलतापूर्वक आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च किया. दुनिया के कई देश स्पेस से जुड़े प्रोग्राम्स पर काम कर रहे हैं. नासा का लक्ष्य 2025 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस लाने का है.
इस साल चीन ने दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा खो दिया. अब यह स्थान एशिया में उसके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी भारत ने ले लिया. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की वर्तमान जनसंख्या 1,434,412,051 है. भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 17.76 फीसदी है.
जानकारों के मुताबिक, आने वाले सालों में भारत की अधिक अनुकूल जनसांख्यिकी ने विकास के इंजन के रूप में काम करने वाले युवा श्रमिकों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा होने का अनुमान जताया है. यह जनसांख्यिकीय लाभांश भारत को दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
व्यापक रूप से यह माना जाता रहा है कि नागोर्नो-काराबाख का इलाका अजरबैजान का हिस्सा है. लेकिन यहां का इतिहास अविश्वास और हिंसाओं से भरा हुआ है. इस इन्क्लेव पर कब्जा आर्मेनिया का है. इस साल भीषण संघर्ष के बाद अजरबैजान ने अपनी सीमा के भीतर स्थित आर्मेनियाई आबादी वाले नागोर्नो-काराबाख पर तेजी से सैन्य कब्जा जमा लिया. यह इस क्षेत्र में काकेशिया (जहां अमेरिका, रूस और तुर्की के हित टकराते हैं) में बदलते शक्ति समीकरणों को दिखाता है. यूएन ने कहा कि नागोर्नो-काराबाख पर नियंत्रण वापस लेने के लिए अजरबैजान के सैन्य अभियान के बाद से 1 लाख से अधिक शरणार्थी वापस आर्मेनिया पहुंचे हैं.
सूडान 15 अप्रैल में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स में जंग शुरू हुई थी. ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और रैपिड सपोर्ट फोर्स ( RSF) के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगलो. रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पहले साथ ही थे. इस जंग में अब तक कम से कम 10,000 लोग लोग मारे जा चुके हैं. गृहयुद्ध के कारण लगभग 50 लाख से ज्यादा लोगों का विस्थापन हुआ है. विस्तापितों ने पड़ोसी देशों में जाकर शरण ले रखी है. इस जंग से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पड़ोसी मुल्कों ने अपनी सीमाएं बंद कर दीं. वहीं,भारत समेत दुनियाभर के देशों ने वहां रह रहे अपने नागरिकों को वापस बुला लिया. माना जाता है कि रैपिड सपोर्ट फोर्स का ताकतवर होना भी सूडान सिविल वॉर की बड़ी वजह है.
जलवायु परिवर्तन का खतरा किस कदर हमारे जीवन को प्रभावित करता है यह कहने की जरूरत नहीं. यूएन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग यानी धरती का तापमान बढ़ना दुनिया की सबसे बड़ी और ज्वलंत समस्याओं में से एक हैं. तटीय इलाकों में खतरा बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, गर्मी बढ़ रही है. यूएन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2023 इतिहास में अब तक का सबसे गर्म साल रहेगा. संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने भी 2023 के सबसे गर्म साल होने की बात कही है.
फिलिस्तीन के चरमपंथी इस्लामिक संगठन हमास के सात अक्टूबर के हमले ने गाजा को तहस - नहस कर दिया. दो महीने से चल रही जंग में इजरायली कार्रवाई ने यहां के बुजुर्ग- बच्चों और महिलाओं को मलबों और तंबुओं में रहने को मजबूर किया है. महीने से जारी युद्ध में अभी तक 17, 700 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 50 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं. यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15 लाख से ज्यादा लोगों का विस्थापनव गृहुआ है. मारे गए लोगों में हमास के सात हजार लड़ाके होने का अनुमान जताया गया है. तमाम वैश्विक प्रयास, वैश्विक संस्थाओं की गाजा में सीजफायर की मांग को खारिज करते हुए बेंजामिन का देश अपनी सैन्य कार्रवाई में लगा है. इस पूरी सैन्य कार्रवाई में अमेरिका का उसे व्यापक समर्थन प्राप्त है. सात दिनों के सीजफायर ने सामान्य युद्धविराम की राह खोली थी लेकिन उसके बाद गाजा में बम और बंदूकें बरस रही हैं.