PoK News: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के कोटली क्षेत्र में शनिवार (27 सितंबर) को हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. न्याय और स्वतंत्रता की मांग कर रहे निर्दोष नागरिकों पर सुरक्षाबलों ने गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सेना की बर्बर कार्रवाई से कई लोग घायल हो गए, जिससे जनाक्रोश और भड़क गया. वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों के काफिले के सामने 'हम अपनी आजादी किसी भी कीमत पर लेंगे' जैसे नारे लगा रहे थे. स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है और कई पुलिसकर्मी भी चोटिल बताए जा रहे हैं.
6 वर्षीय बच्ची की मौत ने भड़की आग
इस आंदोलन का तात्कालिक कारण 6 वर्षीय तस्मिया सुहेल की रहस्यमयी मौत बताया जा रहा है. तीन दिनों से लापता इस बच्ची का शव कोटली के एक खेत में मिला. मौत के पीछे निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए लेकिन यह घटना वर्षों से दबी असंतोष की चिंगारी साबित हुई, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण प्रमुख हैं. संयुक्त अवामी एक्शन कमिटी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने संसाधनों पर अधिकार, पारदर्शी शासन और सेना के अत्याचारों का अंत मांगा है.
सरकार ने आंदोलन को कुचलने की कोशिश
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने इन मांगों को अनदेखा कर दमन का सहारा लिया. लगभग 2,000 पुलिसकर्मी और 167 फ्रंटियर कोर प्लाटून तैनात कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश की गई. पर्यटकों को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका गया, जबकि पत्रकारों को दुश्मन जैसा व्यवहार झेलना पड़ा. खुएरत्ता, कोटली में तीन दिनों से पत्रकार सड़कों पर उतरकर सेना की बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे कहते हैं कि निष्पक्ष कवरेज रोककर सच्चाई को दबाया जा रहा है.
आसिम मुनीर पर ट्रंप की कठपुतली होने का आरोप
यह पहली घटना नहीं है. पिछले महीने रावलकोट में भी पाक सरकार और सेना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध हुआ, जहां आसिम मुनीर पर डोनाल्ड ट्रंप का कठपुतली होने का आरोप लगा. पिछले साल मई में मुजफ्फराबाद में भारी करों, आटे की महंगाई और बिजली बिलों के कारण हिंसा भड़की थी. शनिवार के प्रदर्शन ने पीओके की जनता की पाकिस्तान से आजादी की ललक को फिर उजागर कर दिया. गोलियां, लाठियां और धमकियां जनता के न्याय के संकल्प को नहीं तोड़ सकीं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब इस मानवाधिकार हनन पर नजर रखनी चाहिए.