नई दिल्ली: इजरायल ने सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के रूप में औपचारिक मान्यता देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नया मोड़ ला दिया है. इजरायल ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिससे हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह मान्यता अब्राहम समझौते की भावना के तहत दी गई है. उन्होंने बताया कि यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर लिया गया है. अब्राहम समझौता वर्ष 2020 में हुआ था, जिसके तहत इजरायल और यूएई तथा बहरीन के बीच कूटनीतिक रिश्ते स्थापित हुए थे.
I announced today the official recognition of the Republic of Somaliland as an independent and sovereign state.
— Benjamin Netanyahu - בנימין נתניהו (@netanyahu) December 26, 2025
Together with Foreign Minister Sa'ar and the President of the Republic of Somaliland, we signed a joint and mutual declaration.
This declaration is in the spirit of… pic.twitter.com/WlZuN1HB5z
नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही के साथ संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए हैं. उन्होंने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति के नेतृत्व की सराहना की और शांति व स्थिरता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा की. नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति को आधिकारिक यात्रा के लिए इजरायल आमंत्रित भी किया है.
इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा. इस फैसले को सोमालीलैंड के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है. सोमालीलैंड वर्ष 1991 से खुद को स्वतंत्र मानता है और वहां अपेक्षाकृत शांति और स्थिरता रही है. इसके बावजूद अब तक किसी भी देश ने उसे औपचारिक मान्यता नहीं दी थी.
इजरायल के इस कदम से क्षेत्रीय संतुलन पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.सोमालीया ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है और इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बताया है. इजरायल की घोषणा के बाद मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलात्ती ने सोमालीया, तुर्किये और जिबूती के विदेश मंत्रियों से बातचीत की. इन देशों ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थिति को खतरनाक बताया है.
मिस्र के विदेश मंत्रालय के अनुसार इन देशों ने सोमालिया की एकता और संप्रभुता का समर्थन दोहराया है. उन्होंने चेतावनी दी कि अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है. इस फैसले से आने वाले समय में अफ्रीका और पश्चिम एशिया की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं.