Iran-Israel War: जो शुरुआत में ईरान पर दबाव बनाने की अमेरिका की रणनीति थी, वह अब खुले युद्ध में बदलती नजर आ रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ऐलान किया कि अमेरिका ने ईरान के तीन अहम न्यूक्लियर साइट्स फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर हमला किया है. ट्रंप ने इसे एक शानदार सैन्य सफलता बताया है.
अब खतरा यह है कि ईरान इस हमले का करारा जवाब दे सकता है और इस जंग में बाकी देश भी खिंच सकते हैं. यमन के हूथी विद्रोहियों ने इसे युद्ध की शुरुआत कहा है. चलिए जानते हैं पिछले 24 घंटे में क्या-क्या हुआ
शनिवार को इसराइल ने ईरान के इस्फहान न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर और कोम जैसे पवित्र शहर पर हमला किया, वहीं ईरान ने भी ड्रोन और मिसाइल के जरिए इसराइल पर जवाबी हमला किया.
ईरान की एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने अमेरिकी हमलों को निर्दयी हमला बताया और कहा कि इससे ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं रुकेगा. विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने कहा, 'ईरान अपने देश, जनता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर विकल्प खुला रखता है.'
अमेरिका ने गुपचुप तरीके से B-2 बॉम्बर्स विमान गुआम द्वीप पर भेजे हैं. हालांकि पेंटागन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी कि ये तैनाती ईरान-इसराइल जंग से जुड़ी है या नहीं. अमेरिकी दूतावास ने इसराइल में रह रहे अमेरिकी नागरिकों की निकासी शुरू कर दी है. यह एक बड़े युद्ध की आशंका का संकेत माना जा रहा है.
ईरान के सरकारी चैनलों पर साफ कहा गया कि अब से हर अमेरिकी नागरिक और सैनिक मिडल ईस्ट में एक वैध निशाना है. यानी जवाबी हमला कभी भी हो सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमारे हमले पूरी तरह सफल रहे. ईरान को अब शांति का रास्ता चुनना चाहिए, वरना अगला हमला पहले से कहीं बड़ा और आसान होगा.'
हूथी मिलिशिया ने कहा कि ट्रंप ये जंग जल्दी खत्म करना चाहते हैं, लेकिन एक-दो न्यूक्लियर फैसिलिटी को उड़ाना, जंग खत्म नहीं करता ये शुरुआत है.'
इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा,'उनकी लीडरशिप मिडल ईस्ट और दुनिया को शांति की दिशा में ले जा सकती है.'