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India Daily

ईरान में आर्थिक संकट से भड़का आक्रोश, सड़कों पर उतरे लोग; तेहरान के बाजार रहे बंद

ईरान में डॉलर के मुकाबले रियाल के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. कई शहरों में हालात तनावपूर्ण रहे, आंसू गैस चली और सेंट्रल बैंक प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया.

Kanhaiya Kumar Jha
ईरान में आर्थिक संकट से भड़का आक्रोश, सड़कों पर उतरे लोग; तेहरान के बाजार रहे बंद
Courtesy: X/@gdubon007

नई दिल्ली: ईरान एक बार फिर गंभीर आंतरिक संकट के दौर से गुजर रहा है. देश की मुद्रा रियाल के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचते ही राजधानी तेहरान सहित कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए. बढ़ती महंगाई, रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतों में उछाल और आर्थिक अनिश्चितता ने आम नागरिकों का गुस्सा भड़का दिया. हालात इतने बिगड़े कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को हस्तक्षेप करना पड़ा.

तेहरान में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन जल्द ही इस्फहान, शिराज और मशहद जैसे प्रमुख शहरों तक फैल गए. कई इलाकों में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार आर्थिक संकट को संभालने में विफल रही है. सड़कों पर नारेबाजी और दुकानों के शटर गिरने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ.

सेंट्रल बैंक प्रमुख का इस्तीफा

प्रदर्शनों के तेज होने के बीच ईरान के सेंट्रल बैंक प्रमुख मोहम्मद रजा फरजिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह कदम ऐसे समय आया है जब रियाल की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह इस्तीफा सरकार पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है. हालांकि अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दी गई.

2022 के बाद सबसे बड़ा आंदोलन

सोमवार के प्रदर्शन 2022 के बाद सबसे बड़े माने जा रहे हैं. उस समय महसा जीना अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देशव्यापी आंदोलन हुआ था. उन्हें कथित तौर पर हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मौजूदा विरोध भी उसी तरह व्यापक और भावनात्मक होता दिख रहा है.

राष्ट्रपति की अपील और बाजार बंद

राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने सरकार से प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को सुनने की अपील की है. उन्होंने आंतरिक मंत्री को प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से संवाद करने का निर्देश दिया है. इसी बीच व्यापारियों ने बाजार बंद कर विरोध जताया. अर्ध सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार कई दुकानों में कारोबार पूरी तरह ठप रहा.

आर्थिक गिरावट की जड़ें

ईरान की मुद्रा हाल ही में 1.42 मिलियन रियाल प्रति डॉलर तक गिर गई थी और बाद में 1.38 मिलियन पर कारोबार करती दिखी. महंगाई बढ़ने से भोजन और ईंधन जैसी जरूरी चीजें महंगी हो गई हैं. मार्च 21 से नए ईरानी वर्ष में कर बढ़ाने की खबरों ने चिंता और बढ़ा दी है. 2015 के परमाणु समझौते के समय रियाल 32 हजार प्रति डॉलर था, लेकिन 2018 में अमेरिका के समझौते से हटने के बाद हालात बिगड़ते चले गए.