Iran in IAEA Vienna Conference: ईरान ने वियना में चल रहे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सालाना होने वाले सम्मेलन में गुरुवार को अन्य देश को आश्चर्यचकित कर दिया. ईरान की ओर से परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों को रोकने वाले प्रस्ताव को वापस ले लिया गया. इसे चीन, रूस और अन्य राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के वार्षिक बैठक में मतदान के लिए रखा था.
ईरान द्वारा यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब अमेरिका पर्दे के पीछे से सहयोगी देशों के भरोसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की प्रक्रिया में जुटी है. इतना ही नहीं अमेरिका द्वारा इस प्रस्ताव के पारित होने से रोकने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
अमेरिका इस प्रस्ताव को पारित नहीं होने देना चाहता है. पश्चिमी राजनयिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमेरिका इस प्रस्ताव को पारित होने से रोकने के लिए पर्दे के पीछे से काम कर रहा है. कुछ रिपोर्ट का कहना है कि अमेरिका ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि इससे इजरायल को नुकसान हो सकता है. हालांकि रिपोर्ट यह भी है कि अमेरिका ने इससे पहले संभावना जताई थी अगर इस प्रस्ताव को पारित किया जाता है और इजरायल के अधिकारों को कम किया जाता है तो वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को मिलने वाले धन में कटौती कर सकता है. हालांकि 1981 में, इराक में एक परमाणु रिएक्टर पर इजरायली हमले के बाद IAEA के तकनीकी सहायता कार्यक्रम के तहत इजरायल को दी जाने वाली सहायता निलंबित कर दी गई थी. साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, आईएईए महाधिवेशन और आईएईए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा इस हमले की कड़ी निंदा भी की गई थी.
इजरायल ने इसी साल जून में ईरान के परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाया था. IDF की ओर से यह कहा गया था कि वह तेहरान को परमाणु हथियार बनाने के लिए अनुमति नहीं दे सकते हैं. इसके बाद अमेरिका की ओर से भी ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. हालांकि ईरान की ओर से हमेशा यह कहा गया है कि उनके द्वारा चलाया जा रहा परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है. इस संवेदनशील मुद्दे पर ईरान का इस एक्शन को लेकर अन्य सभी देशों के बीच चर्चा का माहौल बन चुका है. माना जा रहा है ईरान ने यह कदम पश्चिमी देशों के दबाव में उठाया है.