नई दिल्ली: लंदन की एक अदालत ने नस्लीय भेदभाव और गलत तरीके से नौकरी से हटाए जाने के मामले में भारतीय नागरिक के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके तहत उसे लगभग 66,800 पाउंड का मुआवजा मिलेगा.ब्रिटेन में काम कर रहे एक भारतीय युवक को नस्लीय भेदभाव और गलत तरीके से नौकरी से निकाले जाने के मामले में बड़ी कानूनी जीत मिली है.
रोजगार न्यायाधिकरण ने लंदन स्थित केएफसी आउटलेट के खिलाफ फैसला सुनाते हुए भारतीय कर्मचारी को भारी मुआवजा देने का आदेश दिया. यह मामला कार्यस्थल पर नस्लवाद, मानसिक उत्पीड़न और कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़ा है, जिसने ब्रिटेन में काम कर रहे प्रवासी कर्मचारियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए हैं.
माधेश रविचंद्रन तमिलनाडु के रहने वाले हैं और जनवरी 2023 में उन्होंने लंदन के वेस्ट विकहम इलाके में स्थित केएफसी आउटलेट में नौकरी शुरू की थी. उनकी नियुक्ति सीधे उनके मैनेजर काजन ने की थी. शुरुआत में सब सामान्य रहा, लेकिन कुछ ही समय बाद उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार शुरू हो गया, जिसने आगे चलकर गंभीर रूप ले लिया.
रविचंद्रन ने अदालत को बताया कि उनके श्रीलंकाई मूल के मैनेजर ने उनके साथ नस्ल के आधार पर गलत व्यवहार किया. आरोप है कि उन्हें 'गुलाम' जैसे अपमानजनक शब्द कहे गए. और साथ ही उनकी छुट्टी की मांग यह कहकर खारिज कर दी गई कि वह भारतीय हैं, जबकि श्रीलंकाई तमिल कर्मचारियों को प्राथमिकता दी गई.
मामला जुलाई 2023 में और बिगड़ गया, जब मैनेजर ने रविचंद्रन पर जरूरत से ज्यादा घंटे काम करने का दबाव बनाया. लगातार बढ़ते मानसिक दबाव के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया. न्यायाधीश ने माना कि उनका इस्तीफा स्वेच्छा से नहीं, बल्कि मैनेजर की लगातार प्रताड़ना का नतीजा था.
इस्तीफे के बाद भी परेशानी खत्म नहीं हुई. फोन कॉल्स के दौरान मैनेजर ने कथित तौर पर उन्हें नस्लीय गालियां दी और धमकाया. अदालत ने माना कि इस व्यवहार से उनकी गरिमा को ठेस पहुंची. नोटिस अवधि पूरी होने से पहले ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जो कानून के खिलाफ था.
रोजगार न्यायाधिकरण ने रविचंद्रन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए करीब 66,800 पाउंड का मुआवजा देने का आदेश दिया. छुट्टियों और अन्य अधिकारों की राशि जोड़ने पर कुल रकम लगभग 66,800 पाउंड यानी करीब 70 लाख रुपये बैठती है. अदालत ने केएफसी आउटलेट संचालित करने वाली कंपनी को कर्मचारियों के लिए नस्लीय भेदभाव से जुड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम छह महीने में लागू करने का भी आदेश दिया.