India-US Tariff News: अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने साफ शब्दों में चेतावनी जारी की है कि अगर भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद पर लगाम नहीं लगाता, तो अमेरिकी पक्ष भारतीय आयातों पर लगाए गए टैरिफ में किसी प्रकार की छूट नहीं देगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है, जो ब्राजील के बाद किसी अन्य देश के लिए सबसे अधिक दर है.
अमेरिकी राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने नई दिल्ली के साथ चल रही व्यापारिक बातचीत को "जटिल" करार देते हुए भारत पर अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने में "अड़ियल" रवैया अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "अगर भारतीय नहीं झुकते, तो मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ट्रंप भी झुकेंगे." हैसेट ने आगे साफ़ किया कि भारत के साथ बातचीत की जटिलता का एक प्रमुख कारण रूस पर लगाया जा रहा दबाव है, जो शांति समझौते को सुनिश्चित करने और लाखों लोगों की जान बचाने के उद्देश्य से है.
"Indian Intransigence" 🤯: US Economic Adviser - "If the Indians Don't Budge, I Don't Think Trump Will Either"
— RT_India (@RT_India_news) August 28, 2025
Kevin Hassett seems to think that protecting India's rights and rejecting elements of an FTA that aren't mutually beneficial is INTRANSIGENT - simply India refusing to… https://t.co/gBZ3C9DEFS pic.twitter.com/cnWGXmUwAP
भारत-अमेरिका व्यापार बातचीत की मैराथन से तुलना
हैसेट ने भारत-अमेरिका व्यापार बातचीत को मैराथन से तुलना की, जिसमें उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं. उन्होंने कहा, "जब आप व्यापार बातचीत को देखते हैं, तो हम सभी ने एक सबक सीखा है कि आपको अपनी नजर क्षितिज पर रखनी होगी और यह समझना होगा कि अंतिम स्थिति तक पहुंचने से पहले उतार-चढ़ाव आते रहेंगे." यह बयान व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान आया, जहां उन्होंने जोर दिया कि अमेरिका का रुख दृढ़ है और भारत को अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा.
अंत में हम साथ आएंगे: बेसेन्ट
ट्रंप के सलाहकार हैसेट की यह टिप्पणी अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट की पिछली टिप्पणियों से पूरी तरह मेल खाती है. बेसेन्ट ने साफ़ किया था कि भारत पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ केवल रूसी तेल की खरीद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते की लंबी प्रक्रिया के कारण भी हैं. बुधवार को फॉक्स बिजनेस को दिए इंटरव्यू में बेसेन्ट ने कहा, "मैंने सोचा था कि मई या जून में हमारा सौदा हो जाएगा; भारत सबसे शुरुआती सौदों में से एक हो सकता है. लेकिन उन्होंने हमें किसी तरह से अपने साथ जोड़ लिया." उन्होंने बातचीत के दौरान नई दिल्ली के रवैये को "थोड़ा असहयोगात्मक" बताते हुए कहा, "यह एक बहुत ही जटिल संबंध है." हालांकि, आशावादी नजरिए से बेसेन्ट ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मुझे लगता है कि अंत में हम एक साथ आएंगे."
ट्रम्प के टैरिफ पर भारत का रुख
दूसरी ओर, भारत ने अमेरिकी दबाव के खिलाफ मजबूती से डटने का संकेत दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि वे देश के किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे. सरकार के आकलन के मुताबिक, इन शुल्कों का सीधा असर अमेरिका को होने वाले 48.2 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर पड़ेगा. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नए टैरिफ का तात्कालिक प्रभाव सीमित लग सकता है, लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसके व्यापक प्रभाव से कई चुनौतियां उत्पन्न होंगी, जिनका समाधान तत्काल आवश्यक है.