भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जो इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांतिपूर्ण समाधान और दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने के लिए 'न्यूयॉर्क घोषणा' का समर्थन करता है. फ्रांस की ओर से पेश किए गए इस प्रस्ताव को 142 देशों के जबरदस्त समर्थन के साथ स्वीकार किया गया. भारत का यह मतदान गाजा संघर्ष पर उसकी पिछली नीति से स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूयॉर्क घोषणा सात पेजों का एक दस्तावेज है, जो जुलाई में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सऊदी अरब और फ्रांस द्वारा सह-आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद सामने आया. इसका मकसद दशकों पुराने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने के लिए बातचीत को पुनर्जनन देना था. इस घोषणा ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इजरायल पर हमले की निंदा की, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 250 से अधिक लोग बंधक बनाए गए.
The United States opposes the New York Declaration, as we opposed the High-level International Conference for the Peaceful Settlement of the Question of Palestine and the Implementation of the Two-State Solution and the resolution that mandated it. UN General Assembly action on…
— U.S. Mission to the UN (@USUN) September 12, 2025
न्यूयॉर्क घोषणा: दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में कदम
घोषणा में इजरायली नेतृत्व से दो-राष्ट्र समाधान के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता की मांग की गई. इसमें कहा गया, "इजरायल को तत्काल हिंसा और फिलिस्तीनियों के खिलाफ उकसावे को खत्म करना चाहिए, सभी बस्ती निर्माण, भूमि हड़पने और कब्जे की गतिविधियों को तुरंत रोकना चाहिए, विशेष रूप से पूर्वी यरूशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में, और बस्ती नीति को सार्वजनिक रूप से त्यागना चाहिए." घोषणा ने यह भी जोर दिया कि "गाजा एक फिलिस्तीनी राज्य का अभिन्न अंग है और इसे वेस्ट बैंक के साथ एकीकृत होना चाहिए. कोई कब्जा, नाकाबंदी, क्षेत्रीय कमी या जबरन विस्थापन नहीं होना चाहिए."
भारत का बदला रुख: गाजा नीति में बदलाव
भारत का इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव को दिखाता है. हाल के सालों में, मोदी सरकार ने गाजा में युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का समर्थन करने से परहेज किया था. पिछले 3 सालों में भारत ने गाजा में युद्धविराम की मांग वाले चार संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाई थी.
इस बार, भारत का 142 देशों के साथ इस प्रस्ताव का समर्थन करना वैश्विक मंच पर शांति और दो-राष्ट्र समाधान के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. खाड़ी अरब देशों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि इजरायल, अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नौरु, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे और टोंगा ने इसके खिलाफ मतदान किया.
इजरायल और अमेरिका ने प्रस्ताव की निंदा की
इजरायल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "एक बार फिर साबित हो गया कि महासभा एक राजनीतिक सर्कस है, जो वास्तविकता से पूरी तरह कटा हुआ है. इस प्रस्ताव द्वारा समर्थित घोषणा के दर्जनों खंडों में एक भी बार यह जिक्र नहीं है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है."
दूसरी ओर, अमेरिकी मिशन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका न्यूयॉर्क घोषणा का विरोध करता है, जैसा कि उसने इस घोषणा को समर्थन देने वाले उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रस्ताव का विरोध किया था. अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ऑर्टागस ने इसे "राजनीतिक नाटक" करार देते हुए कहा, "कोई गलती न करें, यह प्रस्ताव हमास के लिए एक उपहार है."
गाजा संकट: मानवीय त्रासदी का दायरा
7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले में 1,200 लोग, ज्यादातर नागरिक, मारे गए और लगभग 251 लोग बंधक बनाए गए. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, गाजा में युद्ध के दौरान 64,000 से अधिक लोग, ज्यादातर नागरिक, मारे गए हैं. इस मानवीय त्रासदी ने वैश्विक समुदाय को झकझोर दिया है, और न्यूयॉर्क घोषणा जैसे प्रयास संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक कदम हैं.