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India Daily

हनी हश केस: शपथ से पहले सजा रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे डोनाल्ड ट्रंप, 10 जनवरी को सुनाई जानी है सजा

डोनाल्ड ट्रम्प के वकील इस फैसले को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि अगर सजा जारी रहती है तो यह राष्ट्रपति के कर्तव्यों और संघीय सरकार की कार्यप्रणाली के लिए गंभीर नाइंसाफी और नुकसान का कारण बनेगा.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Honey Hush Case Donald Trump appealed to the Supreme Court to stop the punishment before the oath

20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पर की शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने हश मनी मामले में 10 जनवरी 2025 को होने वाली सजा की सुनवाई को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है. ट्रम्प के वकीलों ने बुधवार, 8 जनवरी 2025 को उच्चतम न्यायालय से यह अपील की. इससे पहले न्यूयॉर्क कोर्ट ने उनके मामले में सजा को स्थगित करने से इनकार कर दिया था.

राष्ट्रपति की इम्युनिटी का दिया हवाला
डोनाल्ड ट्रम्प के वकील इस फैसले को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि अगर सजा जारी रहती है तो यह राष्ट्रपति के कर्तव्यों और संघीय सरकार की कार्यप्रणाली के लिए गंभीर नाइंसाफी और नुकसान का कारण बनेगा. ट्रम्प के वकीलों का दावा है कि उन्हें राष्ट्रपति पद से जुड़ी कुछ इम्युनिटी मिलनी चाहिए थी, जो उनके खिलाफ इस मामले में इस्तेमाल किए गए कुछ साक्ष्यों को सुरक्षा प्रदान करती है.

यह मामला पिछले साल मई में ट्रम्प के 34 आपराधिक आरोपों के तहत व्यापारिक रिकॉर्ड में धोखाधड़ी करने के मामले में ट्रायल और दोषसिद्धि के बाद सामने आया था. जज जुआन एम. मर्चन, जिन्होंने ट्रम्प के खिलाफ फैसला सुनाया, ने यह संकेत दिया था कि वे ट्रम्प पर जेल की सजा, जुर्माना या पैरोल लागू नहीं करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजकों से मांगा कल तक का समय
ट्रम्प के वकील इस मामले में तात्कालिक स्थगन की मांग कर रहे हैं ताकि सजा से जुड़े फैसले को रोका जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने न्यूयॉर्क अभियोजकों से जवाब देने के लिए 9 जनवरी 2025 तक का समय दिया है. ट्रम्प के वकील यह भी दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रपति इम्युनिटी के तहत उनके खिलाफ प्रयोग किए गए कुछ साक्ष्य को सही तरीके से नहीं देखा गया था.

ट्रम्प का राष्ट्रपति इम्युनिटी का तर्क
ट्रम्प के वकील यह तर्क दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रपति पद के दायित्वों के दौरान किए गए कुछ कृत्यों को कानूनी कार्रवाई से बचाया जा सकता है. हालांकि, जज मर्चन ने इस तर्क से असहमत होते हुए ट्रम्प की सजा से संबंधित सभी कार्यवाहियों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया.