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'दुनिया को बचाने के लिए सबको करना होगा ज्यादा SEX', एलन मस्क ने बताया ऐसा नहीं किया तो कब खत्म हो जाएगी मानव सभ्यता?

एलन मस्क की इस चेतावनी से ये साफ हो गया है कि जनसंख्या वृद्धि में कमी और जन्म दर में गिरावट मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है. यह हमें इस गंभीर मुद्दे पर सोचने पर मजबूर करता है, जिससे दुनिया के कई देशों के लिए नीतियों में बदलाव की जरूरत हो सकती है.

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Edited By: Mayank Tiwari
एलन मस्क घटते जन्म दर से चिंतित
Courtesy: Social Media

अमेरिकी अरबपति और ऑटोमेकर टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने हाल ही में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा परमाणु युद्ध, वैश्विक तापन या अगला महामारी नहीं होगा. दरअसल, एलन मस्क के अनुसार, मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा यह है कि लोग अपने बिस्तरों में पर्याप्त संबंध नहीं बना रहे हैं. अरबपति एलन मस्क ने अपनी चिंताएं एक्स पर साझा करने के लिए पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि "जन्म दर में अत्यधिक गिरावट मानव सभ्यता के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा है.

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एलन मस्क ने एक पोस्ट शेयर की. जिसमें उन्होंने लिखा, "अत्यधिक जन्म दर में गिरावट मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा है. मस्क ने यह भी कहा, "कई लोग, जिनमें बुद्धिमान लोग भी शामिल हैं, मानते हैं कि दुनिया में बहुत अधिक लोग हैं और जनसंख्या नियंत्रण से बाहर हो रही है. एलन मस्क का कहना है कि यह पूरी तरह से गलत सोच है. उन्होंने आगे कहा, "कृपया संख्याओं पर गौर करें. अगर लोग अधिक बच्चे नहीं पैदा करेंगे तो सभ्यता खत्म हो जाएगी.

जन्म दर में गिरावट से क्या हो रहें हैं प्रभाव?

 दरअसल, हाल के सालों में दुनिया भर में जन्म दर में तेज़ी से गिरावट आई है. वहीं, इस साल की शुरुआत में यह बताया गया था कि दक्षिण कोरियाई लोग इतने कम बच्चे पैदा कर रहे हैं कि अगर वे अपनी सेक्स लाइफ़ में सुधार नहीं लाते हैं, तो 2750 तक वे विलुप्त हो जाएंगे. इसके अलावा, यह भी रिपोर्ट किया गया था कि इस सदी के अंत तक, 93% देशों, जिनमें ब्रिटेन और अमेरिका भी शामिल हैं, उनको जनसंख्या में कमी का सामना करना पड़ेगा, अगर उनका वर्तमान रुझान जारी रहता है. 

जानिए समाधान क्या है?

एलन मस्क का कहना है कि शायद दुनिया को बचाने का सबसे अच्छा तरीका तीसरे विश्व युद्ध की चिंता छोड़कर बिस्तर पर सो जाना चाहिए. उनका यह बयान साफ करता है कि जनसंख्या वृद्धि के बिना सभ्यता का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है.