इजराइल-ईरान युद्ध के बीच भारत ने ईरान से अपने नागरिकों को निकालने की पहल शुरू कर दी है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, 100 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था आज रात आर्मेनिया में प्रवेश करने की उम्मीद है. यह तब हुआ जब तेहरान ने नई दिल्ली के अनुरोध पर प्रतिक्रिया दी कि ईरान में फंसे कम से कम 10,000 छात्रों को निकालने के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान किया जाए, क्योंकि इजराइल प्रमुख शहरों पर बमबारी जारी रखे हुए है.
भारत के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान ने उल्लेख किया है कि चूंकि उसने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है, इसलिए छात्र अज़रबैजान, तुर्कमेनिस्तान और अफ़गानिस्तान में जाने के लिए उसकी भूमि सीमाओं का उपयोग कर सकते हैं.
ईरान स्थित भारतीय दूतावास ने 15 जून को एक परामर्श जारी किया जिसमें सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से संपर्क में रहने अनावश्यक आवागमन से बचने और अपडेट के लिए दूतावास के सोशल मीडिया पेजों को फॉलो करने का आग्रह किया गया. तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने स्पष्ट किया कि वह सुरक्षा स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है तथा ईरान में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनसे संपर्क बनाए हुए है.
तेहरान ने और भी दर्दनाक जवाब की धमकी दी
युद्ध बढ़ने के साथ ही ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका इजरायल को ईरान के खिलाफ हमलों से रोकने में विफल रहा तो तेहरान अधिक दर्दनाक जवाब देगा. सोमवार को ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारितक के साथ फ़ोन पर बातचीत में पेजेशकियन ने कहा कि ईरान की जवाबी क्षमता का प्रदर्शन तब हुआ जब उसके सैनिकों ने घातक इज़रायली हमलों के बाद हमलावरों को तेज़ी से निशाना बनाया. राष्ट्रपति ने कहा कि अगर इस तरह के उल्लंघन दोबारा होते हैं तो ईरान की प्रतिक्रिया और भी कठोर होगी.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से जब एबीसी न्यूज ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर संभावित हमले की संभावना के बारे में पूछा तो उन्होंने इस संभावना से इनकार नहीं किया. नेतन्याहू ने सीधे तौर पर हां या ना कहे बिना जवाब दिया, हम वही कर रहे हैं जो हमें करना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि इस तरह की कार्रवाई वास्तव में संघर्ष को खत्म कर सकती है न कि इसे और खराब कर सकती है.