अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार, 12 जून 2025 को तीन कांग्रेशनल रिव्यू एक्ट (CRA) प्रस्तावों पर हस्ताक्षर कर कैलिफोर्निया की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बिक्री और उत्सर्जन मानकों को रद्द कर दिया. इन प्रस्तावों ने कैलिफोर्निया के 2035 तक गैसोलीन से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना को पूरी तरह से खत्म कर दिया. इस कदम ने कैलिफोर्निया और पर्यावरण समूहों को बड़ा झटका दिया है, जो इन नियमों को प्रदूषण कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानते थे.
कैलिफोर्निया की ईवी नीति पर प्रहार
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हस्ताक्षर समारोह के दौरान कहा, "हम आधिकारिक तौर पर अमेरिकी ऑटो उद्योग को विनाश से बचाते हुए कैलिफोर्निया के इलेक्ट्रिक वाहन जनादेश को हमेशा के लिए समाप्त कर रहे हैं." इन प्रस्तावों में पहला, बाइडेन प्रशासन द्वारा दिसंबर 2024 में दी गई छूट को रद्द करता है, जिसने कैलिफोर्निया को 2035 तक 80% वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने का आदेश दिया था. दूसरा और तीसरा प्रस्ताव क्रमशः भारी-भरकम ट्रकों के लिए शून्य-उत्सर्जन और कम-नाइट्रोजन ऑक्साइड नियमों को रद्द करते हैं.
Trump just signed 3 new bills SCRAPPING California’s EV mandate and emissions standards
Even time to sneak in a joke: 'no autopens allowed' https://t.co/nxjQ3ALCWK pic.twitter.com/HUWyi96CCT
— RT (@RT_com) June 12, 2025
ऑटो उद्योग का समर्थन
ऑटो उद्योग ने इस फैसले का स्वागत किया है. ऑटोमोटिव इनोवेशन गठबंधन के सीईओ जॉन बोज़ेला ने कहा, "तथ्य यह है कि ये ईवी बिक्री जनादेश कभी हासिल करने योग्य नहीं थे." जनरल मोटर्स और टोयोटा जैसे निर्माताओं ने इस कदम को बाजार की वास्तविकताओं के अनुरूप बताया. कैलिफोर्निया के नियमों को 11 अन्य राज्यों ने अपनाया था, जो अमेरिकी ऑटो बाजार का एक-तिहाई हिस्सा हैं.
कानूनी चुनौती की तैयारी
कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसोम ने इस कार्रवाई को अवैध करार देते हुए कहा, "यह सीनेट वोट अवैध है." वह और अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने अदालत में चुनौती देने की कसम खाई है. उनका दावा है कि सीआरए का उपयोग छूट रद्द करने के लिए गैरकानूनी है, क्योंकि गैर-पक्षपातपूर्ण सरकारी निकायों ने इसे सीआरए के दायरे से बाहर माना है.
भविष्य की अनिश्चितता
यह कदम कैलिफोर्निया की वायु प्रदूषण से लड़ने की लंबी लड़ाई को प्रभावित कर सकता है, जो 1970 के क्लीन एयर एक्ट से अपनी विशेष छूट पर निर्भर थी. अब यह मामला अदालतों में जाएगा, जिसके परिणाम पर्यावरण नीतियों और ऑटो उद्योग के लिए दूरगामी होंगे.