Vivo Money Laundering Case: भारतीय एजेंसियों ने बीते हफ्ते चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो के तीन अधिकारियों को अरेस्ट किया था. यह गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत की गई. भारत की इस कार्रवाई के बाद चीन ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है. चीन की ओर से सोमवार को कहा गया कि वह वीवो के अरेस्ट किए गए कर्मचारियों को कॉन्सुलर एक्सेस मुहैया कराएगा.
चीन ने कहा है कि वह चीनी कंपनियों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर संभव मदद करेगा. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन इस मसले पर करीबी से नजर बनाए हुए है. प्रवक्ता ने कहा कि चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास कानून सभी सुरक्षा और सहायता प्रदान करेगा.
प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन सरकार चीनी कंपनियों के उनके जायज अधिकारों और उनके हितों का समर्थन करती है. हम उम्मीद करते हैं कि भारत दोनों देशों के बीच व्यापार सहयोग को वरीयता देगा साथ ही निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार का माहौल देगा.
ईडी ने वीवी पर लगे मनी लॉन्ड्रिंग की चार्जशीट में कहा है कि वीवो ने साल 2014 से लेकर 2021 के बीच शेल कंपनियों के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये का कालाधन विदेशों में भेजा है.
वीवो इंडिया के अंतरिम सीईओ होंग जुक्वान, चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर हरिंदर दहिया और एडवाइजर हेमंत मुंजाल को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है. ईडी ने इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार लोगों को अरेस्ट किया था. इसमें मोबाइल कंपनी लावा के एमडी हरिओम राय, चीनी नागरिक एंड्रयु कुआंग और सीए राजन मलिक, नितिन गर्ग को गिरफ्तार किया गया था. यह लोग फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.