पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की तारीफ की है, जिसने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की कैंपस में एक्टिविज्म सीमित करने की मांग को खारिज कर दिया. हार्वर्ड ने इस कदम से न केवल अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की, बल्कि अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी एक मिसाल कायम की है.
सरकार की मांगों के आगे नहीं झुकेगा
सोमवार को हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय सरकार की मांगों के आगे नहीं झुकेगा. इन मांगों में व्यापक सुधार, प्रवेश नीतियों में बदलाव, कैंपस में विविधता के विचारों की जांच और कुछ छात्र क्लबों को मान्यता बंद करना शामिल था. गार्बर ने हार्वर्ड समुदाय को लिखे पत्र में कहा, "कोई भी सरकार- चाहे वह किसी भी पार्टी की हो- निजी विश्वविद्यालयों को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वे क्या पढ़ाएं, किसे प्रवेश दें या नियुक्त करें, और किन क्षेत्रों में अध्ययन करें." उन्होंने कहा कि ये मांगें हार्वर्ड समुदाय को नियंत्रित करने और निजी संस्थान के मूल्यों को खतरे में डालने वाली हैं.
आपने मिसाल पेश की है
बराक ओबामा ने एक्स पर लिखा, "हार्वर्ड ने अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक उदाहरण पेश किया है—एक गैरकानूनी और दबावपूर्ण प्रयास को खारिज करके, जो अकादमिक स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश थी. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए कि हार्वर्ड के सभी छात्र बौद्धिक खोज, कठिन बहस और आपसी सम्मान के माहौल का लाभ उठा सकें. उम्मीद है कि अन्य संस्थान भी इसका अनुसरण करेंगे."
ट्रंप प्रशासन ने रोकी हार्वर्ड की फंडिंग
इसके जवाब में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की 2.2 बिलियन डॉलर की संघीय फंडिंग को रोक दिया. ट्रंप की यहूदी-विरोधी कार्यबल ने कहा, "हार्वर्ड का आज का बयान उस परेशान करने वाली हकदारी मानसिकता को मजबूत करता है, जो हमारे देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में व्याप्त है—कि संघीय निवेश के साथ नागरिक अधिकार कानूनों को बनाए रखने की जिम्मेदारी नहीं आती." उन्होंने कहा, "हाल के वर्षों में कैंपस में शिक्षा का व्यवधान अस्वीकार्य है. यहूदी छात्रों का उत्पीड़न असहनीय है."
पिछले साल, गाजा में इजरायल के युद्ध के खिलाफ कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में छात्रों ने प्रदर्शन किए थे. ट्रंप और अन्य रिपब्लिकन नेताओं ने इन प्रदर्शनकारियों पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिसे अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है. हार्वर्ड का यह रुख अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह विवाद उच्च शिक्षा और सरकारी नीतियों के बीच टकराव को उजागर करता है.