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India Daily

'इस्कॉन भारत के एजेंट के रूप में करता है काम', बांग्लादेशी इस्लामवादियों ने की बैन लगाने की मांग

ढाका में कट्टरपंथी संगठनों ने इस्कॉन पर प्रतिबंध की मांग की. हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े, यूनुस सरकार पर मौन रहने के आरोप.

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Edited By: Reepu Kumari
 Bangladesh Islamists Demand Ban on ISKCON
Courtesy: ANI

नई दिल्ली: शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद , ढाका और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर चटगांव सहित बांग्लादेश के प्रमुख शहरों की सड़कों पर बड़ी संख्या में इस्लामी जमावड़े देखने को मिले. हिफाजत-ए-इस्लाम और इंतिफादा बांग्लादेश जैसे कट्टरपंथी संगठनों के कट्टरपंथी भी इसमें शामिल थे. उन्होंने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, जिसे उन्होंने एक कट्टरपंथी हिंदुत्व संगठन बताया.

यह मांग सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के बीच आई है, जहां मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले बांग्लादेश के अंतरिम संगठन ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक रिट याचिका के जवाब में इसे एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया है. इस पृष्ठभूमि में बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और इस्कॉन केंद्रों पर हमले, और अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ बेहतर व्यवहार की वकालत करने वाले इस्कॉन के पूर्व सदस्य कृष्ण दास प्रभु की कैद भी शामिल है.

अल्पसंख्यकों की हत्या पर यूनुस मौन

बांग्लादेश में, जहां मुहम्मद यूनुस अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्याओं और यौन उत्पीड़न की खबरों को मीडिया द्वारा गढ़ी गई राजनीतिक कहानी बताकर खारिज करते हैं. वहीं हसीना के बाद ढाका का झुकाव इस्लामाबाद की ओर हो गया है, जहां इस्लामी समूह राज्य के प्रत्यक्ष संरक्षण में अपने पैर पसार रहे हैं.

इस्कॉन पर प्रतिबंध वाली मांग पर रैलियां

शुक्रवार को इंतिफादा बांग्लादेश ने ढाका की बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के बाहर सभा के दौरान छह मांगों की रूपरेखा प्रस्तुत की. इंतिफादा ने जो मांगें रखीं उनमें से एक इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाना और समूह के खिलाफ जांच और कानूनी कार्रवाई शुरू करना था.

'इस्कॉन एक हिंदू संगठन नहीं'

ढाका स्थित बांग्ला दैनिक, देश रूपंतोर की एक रिपोर्ट के अनुसार , भारत विरोधी आतंकवादी और अल-कायदा से संबद्ध अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी ने कहा, 'इस्कॉन एक हिंदू संगठन नहीं है. यह यहूदियों द्वारा बनाया गया एक चरमपंथी संगठन है.' आतंकवादी रहमानी ने कहा, 'वे एक के बाद एक अपराध कर रहे हैं. इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाना समय की मांग है.'

रहमानी की रिहाई और हत्याएं

रहमानी को अगस्त 2024 में सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद यूनुस शासन द्वारा रिहा कर दिया गया था. इंतिफादा बांग्लादेश के सदस्य अहमद रफीक ने कहा, 'जब एक इमाम ने इस्कॉन के खिलाफ आवाज उठाई, तो उसका अपहरण कर लिया गया, उसे जंजीरों से बांध दिया गया और पीटा गया. फिर भी राज्य चुप है और अपराधियों को न्याय से बचने का मौका दे रहा है... .'

रफीक ने ढाका में कहा 'अधिकारियों को इस बात की अधिक चिंता है कि पश्चिम, अमेरिका, वामपंथी या विदेशी दूतावास क्या कहेंगे, बजाय इसके कि अल्लाह क्या कहेगा'.

'इस्कॉन भारत के एजेंट के रूप में करता है काम'

केंद्रीय संयुक्त महासचिव और हतजारी मदरसा मुहद्दिस, अशरफ अली निजामपुरी ने चटगाxव जिले के हतजारी में एक अन्य सभा को संबोधित करते हुए बड़ा आरोप लगाया. उन्होनें कहा 'इस देश में, चरमपंथी हिंदुत्व इस्कॉन भारत के एजेंट के रूप में कार्य करता है, जो मुसलमानों के खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त है.'

उन्होंने आगे दावा किया कि इस्कॉन ने 'इजराइली तरीकों का पालन करते हुए, मंदिरों के नाम पर देश भर में एक के बाद एक प्रतिष्ठान बनाए हैं. कमजोर सनातन समुदाय के सदस्यों पर अत्याचार किया है. पड़ोसी राज्य के उच्चायोग के प्रभाव का उपयोग करके, इस्कॉन ने अपनी हिंदुत्व गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रशासन, नौकरशाही और खुफिया एजेंसियों के कुछ वर्गों से समर्थन हासिल करने में कामयाबी हासिल की है.'

हसीना सरकार हटने के बाद इस्कॉन की हालत खराब

हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश में इस्कॉन को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. अगस्त 2024 में हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में इस्कॉन की बढ़ती जांच के मद्देनजर ये विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं . कई इस्कॉन मंदिरों और केंद्रों में तोड़फोड़ की गई और बांग्लादेश में हिंदुओं के एक प्रमुख नेता कृष्ण दास प्रभु अभी भी जेल में हैं.

प्रतिबंध की मांग कर रहे इस्लामवादियों के अनुसार, संगठन पर 'भूमि हड़पने, धन शोधन और चरमपंथी गतिविधियों में संलिप्तता' के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.

17 इस्कॉन सदस्यों पर मनी लॉन्ड्रिंग केस

इससे पहले जनवरी में, बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई (बीएफआईयू) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी सहित 17 इस्कॉन सदस्यों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था .

इस्कॉन का बांग्लादेश में इतिहास

इस्लामवादियों के दावों के विपरीत, इस्कॉन 1970 के दशक से बांग्लादेश में निस्वार्थ सेवा का प्रतीक रहा है. इसके फूड फॉर लाइफ कार्यक्रम ने 1971 के मुक्ति संग्राम और बार-बार आने वाली बाढ़ के बाद विभिन्न धर्मों के लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराया. इसने अनाथालयों के साथ-साथ, धर्म की परवाह किए बिना वंचित बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई स्कूल भी स्थापित किए हैं. इसके अलावा, इस्कॉन वृद्धाश्रम चलाता है और निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित करता है.

बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ-साथ इस्कॉन का उत्पीड़न, और अब संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग, देश के राजनीतिक मामलों पर बढ़ते इस्लामवादी प्रभाव को दर्शाती है, और यह भी कि कैसे ये समूह यूनुस सरकार के निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं, जबकि सरकार ऐसी चिंताओं को खारिज करती रही है .