दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक शपथपत्र में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने सनसनीखेज दावा किया है. उसने कहा कि साल 2006 में उसने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात की थी और इस बारे में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी जानकारी दी थी. मलिक के अनुसार, मनमोहन सिंह ने इस मुलाकात पर अपनी कृतज्ञता जताई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मलिक ने कोर्ट में पेश शपथपत्र में कहा कि उस समय वह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का प्रमुख था और उसे खुफिया ब्यूरो (IB) के वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर पाकिस्तान जाकर हाफिज सईद से मिलने के लिए कहा गया था. उसने दावा किया कि फरवरी 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे दिल्ली बुलाकर वार्ता की और कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की इच्छा जताई थी.
मलिक ने कहा, 'मैं पाकिस्तान से लौटने के बाद उसी शाम मनमोहन सिंह से मिला और उन्हें हाफिज सईद सहित अन्य आतंकी नेताओं से मुलाकात की जानकारी दी. पीएम ने मेरी मेहनत, धैर्य और प्रयासों की सराहना की और आभार व्यक्त किया.' यासीन मलिक ने यह भी कहा कि पाकिस्तान यात्रा का मकसद भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत कार्य करना था, लेकिन IB के विशेष निदेशक वीके जोशी के कहने पर उसे हाफिज सईद और अन्य नेताओं से मिलने के लिए विशेष रूप से कहा गया. उसने आरोप लगाया कि बाद में इस मुलाकात को उसके खिलाफ तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.
शपथपत्र में यासीन मलिक ने यह भी दावा किया कि उसने 1995 में तत्कालीन विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से भी भेंट की थी. उस दौरान उसने कश्मीर में हो रही हिंसा पर सवाल उठाए थे, जिस पर वाजपेयी ने शांत और भावुक प्रतिक्रिया दी थी. गौरतलब है कि यासीन मलिक को 2022 में टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. वह इस समय तिहाड़ जेल में बंद है. हाल ही में एनआईए ने उसके लिए मौत की सजा की मांग की है और अदालत ने मलिक को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.