PM Modi planted a 'Kadamb' sapling Video: ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके 75वें जन्मदिन पर एक बेहद अनोखा और खास तोहफा दिया था- कदंब का पौधा. नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमीशन ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी.
दरअसल , यह गिफ्ट पीएम मोदी की पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी पहल 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान से प्रेरित है. कदंब का पेड़ दोनों देशों की दोस्ती , पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जा रहा है. अब पीएम मोदी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह कदंब का पौधा अपने आवास , 7 लोक कल्याण मार्ग पर लगा रहे हैं. कदंब का महत्व सिर्फ एक पेड़ भर नहीं है , बल्कि यह भारत की प्राचीन विरासत और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है.
VIDEO | Delhi: Prime Minister Narendra Modi (@narendramodi) today planted a 'Kadamb' sapling at his residence, 7 Lok Kalyan Marg. The sapling was a special gift from King Charles III of the United Kingdom.
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos -… pic.twitter.com/TbhOSm8b1j— Press Trust of India (@PTI_News) September 19, 2025Also Read
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कर्नाटक में प्राचीन काल में जब दो राज्य आपसी मित्रता जताते थे , तो उनकी सीमाओं पर कदंब का पौधा लगाया जाता था. यही वजह है कि इसे मित्रता और शांति का प्रतीक भी माना जाता है. कर्नाटक का कदंब राजवंश भी इसी वृक्ष से गहराई से जुड़ा था. माना जाता है कि कदंब वंश के प्रवर्तक मयूर शर्मा का जन्म कदंब के पेड़ के नीचे हुआ था , इसलिए उस दौर में इस वृक्ष को पूज्यनीय दर्जा दिया गया.
भारतीय साहित्य और संस्कृति में भी कदंब का खास महत्व है. कालिदास , बाणभट्ट और भवभूति जैसे कवियों ने इसकी सुगंध , फूलों और सौंदर्य का वर्णन किया है. ब्रज क्षेत्र में तो यह वृक्ष कृष्ण लीला से जुड़ा है. भागवत पुराण में कथा आती है कि भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराकर कदंब के पेड़ पर बैठ गए थे. वहीं , एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि जब गरुड़ स्वर्ग से अमृत लेकर लौटे , तो उसकी कुछ बूंदें कदंब के वृक्ष पर गिरीं , जिसके कारण यह पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है और इसके पीले फूलों की खुशबू मन मोह लेने वाली होती है.
पुराणों में कदंब को कामदेव का प्रिय वृक्ष बताया गया है. कहा जाता है कि कामदेव अपने पुष्प बाणों में कदंब के फूल का उपयोग करते थे. देवी काली और देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी को भी यह पेड़ अत्यंत प्रिय है. यहां तक कि आयुर्वेद में भी इसका जिक्र है और इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है.
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