विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि विश्व को यह दिखावा बंद करना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवादियों को समर्थन नहीं देता. उन्होंने कहा न केवल पाकिस्तान बल्कि उनकी सेना की भी आतंकी गतिविधियों में गहरी संलिप्तता है.
आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख
डच दैनिक डे वोल्क्सक्रांट को दिए एक इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकवाद का "निर्णायक अंत" चाहता है. पहलगाम हमले के बाद भारत की सैन्य कार्रवाई को फिलहाल रोका गया है. उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल सबसे कुख्यात आतंकवादी पाकिस्तान में हैं. वे बड़े शहरों में, दिनदहाड़े सक्रिय हैं. उनके पते, गतिविधियां और आपसी संपर्क सबको पता हैं. तो यह दिखावा न करें कि पाकिस्तान शामिल नहीं है. राज्य शामिल है. सेना इस में गले तक डूबी है." 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिसकी जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की, लेकिन टीआरएफ का नाम नहीं लिया, जिसे कुछ लोग पाकिस्तान और चीन के दबाव के रूप में देखते हैं.
धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश
जयशंकर ने आतंकी समूहों को पाकिस्तानी समर्थन पर सवाल उठाने पर कहा, "मैं यह सुझाव नहीं दे रहा, मैं यह कह रहा हूं." उन्होंने जोड़ा, "कल्पना करें कि एम्सटर्डम जैसे शहर में बड़े सैन्य केंद्र हों, जहां हजारों लोग सैन्य प्रशिक्षण ले रहे हों. क्या आप कहेंगे कि आपकी सरकार को कुछ पता नहीं? बिल्कुल नहीं." मंत्री ने बताया कि पहलगाम हमला कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करने और धार्मिक विद्वेष भड़काने के इरादे से किया गया. उन्होंने कहा, "आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर की जीवंत पर्यटन इंडस्ट्री को निशाना बनाया. वे अपने सीमित, स्वार्थी उद्देश्यों के लिए कश्मीर को नष्ट करने को तैयार हैं. उन्होंने हमले को धार्मिक रंग भी दिया. विश्व को ऐसी प्रथाओं को स्वीकार नहीं करना चाहिए."
हमले का धार्मिक स्वरूप
प्रत्यक्षदर्शियों और बचे लोगों के अनुसार, हमलावरों ने पहचान पत्र जांचे और गैर-मुस्लिमों को गोली मार दी. यह हमला न केवल सुरक्षा, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा है.