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नीले ड्रम वाली मुस्कान, हनीमून पर पति को निपटाने वाली सोनम रघुवंशी, अतुल सुभाष का दर्दनाक सुसाइड, 2025 कैसे बना 'मर्द के दर्द' वाला साल?

साल की शुरुआत ही दर्दनाक रही. दिसंबर 2024 की अतुल सुभाष की आत्महत्या ने 2025 में भी गूंज पैदा की.

Gyanendra Sharma
नीले ड्रम वाली मुस्कान, हनीमून पर पति को निपटाने वाली सोनम रघुवंशी, अतुल सुभाष का दर्दनाक सुसाइड, 2025 कैसे बना 'मर्द के दर्द' वाला साल?
Courtesy: Photo-Social Media

नई दिल्ली:  साल 2025 विदा होने की दहलीज पर खड़ा है और जाते-जाते उसने समाज को कई कड़वी सच्चाइयों का आईना दिखाया है. दिसंबर के आखिरी दिनों में उत्तर प्रदेश के संभल जिले से आई एक दिल दहला देने वाली खबर ने पूरे साल की यादें ताजा कर दीं. 

एक महिला ने अपने प्रेमी की मदद से पति की हत्या की, शव को टुकड़ों में काटा और अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया. यह घटना मेरठ के चर्चित 'नीले ड्रम' मामले की याद दिलाती है, जहां भी वैवाहिक रिश्ते की क्रूरता सामने आई थी. ये अलग-थलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे पैटर्न की कड़ी हैं जो पूरे साल चर्चा में रहा जहां पुरुष अक्सर पीड़ित नजर आए, चाहे मानसिक उत्पीड़न के रूप में या शारीरिक हिंसा के.

अतुल सुभाष की आत्महत्या

साल की शुरुआत ही दर्दनाक रही. दिसंबर 2024 की अतुल सुभाष की आत्महत्या ने 2025 में भी गूंज पैदा की. बेंगलुरु के इस आईटी इंजीनियर ने अपनी मौत से पहले एक लंबा सुसाइड नोट और वीडियो छोड़ा, जिसमें उन्होंने पत्नी और ससुराल वालों पर झूठे मुकदमों और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए. उनका वाक्यांश "This ATM has been closed permanently" कई पुरुषों की व्यथा का प्रतीक बन गया. इस घटना ने पुरुषों के अधिकारों और कानूनी प्रणाली में संभावित दुरुपयोग पर बहस छेड़ दी.

फरवरी में आगरा के टीसीएस कर्मचारी मानव शर्मा की आत्महत्या ने इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया. मानव ने भी मौत से पहले वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें पत्नी पर उत्पीड़न के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पुरुष अक्सर अकेले पड़ जाते हैं और उनकी पीड़ा को कोई नहीं सुनता. ये दोनों मामले पुरुषों में बढ़ते मानसिक दबाव और वैवाहिक विवादों में कानूनी चुनौतियों को उजागर करते हैं.

'नीला ड्रम' केस सुर्खियों में आया

मार्च में मेरठ का 'नीला ड्रम' केस सुर्खियों में आया. मुस्कान रस्तोगी और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला पर आरोप लगा कि उन्होंने पति सौरभ राजपूत की हत्या की, शव को टुकड़ों में काटकर नीले ड्रम में सीमेंट से भर दिया. यह क्रूरता समाज को झकझोर गई. इसी तरह मई-जून में मेघालय का 'हनीमून मर्डर' केस सामने आया, जहां सोनम रघुवंशी पर पति राजा रघुवंशी की हत्या करवाने का आरोप लगा. नवविवाहिता जोड़ी हनीमून पर गई थी, लेकिन राजा का शव एक खाई में मिला. जांच में प्रेमी और संपत्ति की लालच सामने आई.

दिसंबर में संभल की घटना ने फिर वही सवाल उठाए. रूबी नाम की महिला और उसके प्रेमी गौरव पर पति राहुल की हत्या कर शव को ग्राइंडर से टुकड़े करने और गंगा में फेंकने का आरोप है. ये मामले बताते हैं कि रिश्तों में विश्वासघात कितना घातक हो सकता है.

ये घटनाएं सिर्फ अपराध की खबरें नहीं, बल्कि समाज की बदलती गतिशीलता का संकेत हैं. एक तरफ पुरुषों की आत्महत्याओं ने कानूनों के दुरुपयोग पर सवाल उठाए, तो दूसरी तरफ महिलाओं द्वारा की गईं इन हत्याओं ने पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती दी. विशेषज्ञ कहते हैं कि ये अलग-थलग नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक दबाव, मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी और रिश्तों में संवाद की कमी का नतीजा हैं.

2025 ने हमें सिखाया कि दर्द किसी एक लिंग तक सीमित नहीं. जरूरत है संतुलित कानूनों की, बेहतर काउंसलिंग की और रिश्तों में ईमानदारी की. नया साल आ रहा है उम्मीद है, वह कम दर्द और ज्यादा समझ लेकर आए.