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India Daily

सीपी राधाकृष्णन पर बीजेपी ने क्यों खेला दांव, उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर कैसे इंडिया ब्लॉक को चौंकाया?

एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्णन के नाम ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि जिन नामों के कयास लगाये जा रहे थे उनमें दूर-दूर तक उनका नाम शामिल नहीं था.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Why did NDA make CP Radhakrishnan the Vice Presidential candidate

एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. रविवार को पीएम मोदी की उपस्थिति में हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लगाई गई. बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए उनके नाम का ऐलान किया.

एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्णन के नाम ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि उम्मीदवार के तौर पर जिन नामों के कयास लगाये जा रहे थे उनमें दूर-दूर तक उनका नाम शामिल नहीं था. अब हर किसी के जेहन में यह सवाल है कि आखिर बीजेपी ने राधाकृष्णन को ही उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार क्यों बनाया?

दक्षिण भारत की राजनीति पर फोकस

सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुप्पुर से हैं और दक्षिण भारत में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने की रणनीति में उनकी उम्मीदवारी महत्वपूर्ण है. तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है. राधाकृष्णन के 40 साल के राजनीतिक अनुभव और तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में उनकी सक्रियता इस रणनीति को बल देती है.

आरएसएस से गहरा जुड़ाव

राधाकृष्णन का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से लंबा जुड़ाव रहा है. 16 साल की उम्र से ही वे आरएसएस से जुड़े और बाद में बीजेपी में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं. उनकी यह पृष्ठभूमि बीजेपी और संघ के बीच मजबूत समन्वय को दर्शाती है.

लंबा राजनीतिक अनुभव

राधाकृष्णन ने कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद (1998, 1999) रहने के साथ-साथ झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी में राज्यपाल की जिम्मेदारियां निभाईं. वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. उनके इस व्यापक अनुभव को बीजेपी ने एक राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश किया.

क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक ताकत

बीजेपी ने राधाकृष्णन के जरिए क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है. उनकी उम्मीदवारी दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में पार्टी की छवि को मजबूत कर सकती है. साथ ही, उनकी संगठनात्मक क्षमता और सामाजिक मुद्दों पर सक्रियता, जैसे 93 दिनों की रथ यात्रा, उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है.

विपक्ष को चुनौती

जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद बीजेपी ने राधाकृष्णन जैसे अनुभवी नेता को चुनकर विपक्षी इंडिया ब्लॉक को चौंकाने की रणनीति अपनाई. इसके अलावा लोकसभा व राज्यसभा में एनडीए का संख्याबल मजबूत है जिसके राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है.