Shiv Sena UBT Attack: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि राज्य सरकार मुंबई की अहमियत को कम कर रही है और अहम उद्योगों को गुजरात स्थानांतरित कर रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि "मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश करने वालों को टुकड़े-टुकड़े कर देंगे."
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाकरे ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "हम तोड़ने की भाषा नहीं बोलते, लेकिन मुंबई की अहमियत धीरे-धीरे कम की जा रही है. किसने मुंबई के उद्योग और वित्तीय केंद्र गुजरात ले जाए? यही लोग." उन्होंने साफ कहा कि कोई भी मुंबई को महाराष्ट्र से अलग नहीं कर सकता और वह इसकी अहमियत को नुकसान नहीं होने देंगे.
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray says, "We are not speaking 'todne ki bhasha' but Mumbai is gradually losing its significance. Who took the industries and financial centres of Mumbai to Gujarat? These people. So, nobody can separate Mumbai from… pic.twitter.com/FbYd5ECA6Y
— ANI (@ANI) July 18, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बताते हुए कहा, "मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है और देश की वित्तीय राजधानी मानी जाती है. इसकी अहमियत कुछ लोगों की आंखों में खटक रही है."
ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा ‘महायुति’ सरकार फिल्म उद्योग को अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि डायमंड मार्केट किसने छीन लिया, बुलेट ट्रेन अहमदाबाद क्यों दी जा रही है, और मुंबई में प्रस्तावित फाइनेंशियल सेंटर को क्यों रोका गया.
भाषा के मुद्दे पर भी उद्धव ठाकरे ने केंद्र और राज्य सरकार को घेरा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है, लेकिन वे प्राथमिक शिक्षा में हिंदी भाषा को जबरन थोपने की अनुमति नहीं देंगे. उन्होंने याद दिलाया कि जब वे मुख्यमंत्री थे (2019-2022), तब भी उन्हें नई शिक्षा नीति (NEP 2020) प्राप्त हुई थी, लेकिन उसमें शामिल तीन-भाषा नीति को लागू नहीं किया गया.
ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी कटाक्ष किया और कहा कि फडणवीस को पहले खुद की भाषा और नीति को समझने की कोशिश करनी चाहिए, फिर दूसरों को पढ़ाना चाहिए. उद्धव ठाकरे की यह तल्ख टिप्पणी ऐसे समय आई है जब महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी अस्मिता, मुंबई की पहचान और सांस्कृतिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दे फिर से गरमा रहे हैं.