महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार (18 जुलाई) को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला बोला. शिंदे ने ठाकरे पर 2019 में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ "विश्वासघात" करने का आरोप लगाया. बिना नाम लिए, शिंदे ने ठाकरे की तुलना "गिरगिट" से की और कहा, "महाराष्ट्र ने इतनी तेजी से रंग बदलने वाला कोई नेता पहले नहीं देखा." यह बयान ऐसे समय में आया है, जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में मजाकिया अंदाज में उद्धव ठाकरे को सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विधान परिषद में विपक्ष के एक प्रस्ताव का जवाब देते हुए शिंदे ने खुलासा किया कि 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद फडणवीस ने ठाकरे को "40 से 50 बार फोन किया", लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. शिंदे ने तंज कसते हुए कहा, "उन्होंने उन लोगों के साथ गठबंधन कर लिया, जिन्हें वे पहले तुच्छ समझते थे." यह इशारा ठाकरे के कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की ओर था, जब उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था.
2019 का विश्वासघात और फडणवीस की अनुत्तरित कॉल्स
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने 2017 के बीएमसी चुनावों का जिक्र करते हुए बताया कि शिवसेना ने बीजेपी से सिर्फ दो सीटें (84 बनाम 82) अधिक जीती थीं, फिर भी उनकी अपील पर फडणवीस ने मुंबई के मेयर पद शिवसेना को दे दिया. लेकिन, शिंदे के अनुसार, "इसके बावजूद, ठाकरे ने 2019 में फडणवीस के साथ विश्वासघात किया.
"2022 का विद्रोह और ठाकरे की दोहरी रणनीति
शिंदे ने 2022 के अपने विद्रोह का जिक्र करते हुए दावा किया कि जब वे और उनके समर्थक विधायक गुवाहाटी में थे, तब ठाकरे ने उनसे सुलह की बात की थी. लेकिन उसी समय, ठाकरे दिल्ली में बीजेपी नेताओं से बागी विधायकों का समर्थन न करने की अपील कर रहे थे. शिंदे ने इसे ठाकरे की दोहरी चाल बताया.
लता मंगेशकर म्यूजिक स्कूल विवाद
शिंदे ने लता मंगेशकर म्यूजिक स्कूल को लेकर भी ठाकरे पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि जब मंगेशकर परिवार ने पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया, तब ठाकरे ने इस स्कूल की योजना रद्द कर दी थी. शिंदे ने कहा कि 2022 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद ही इस परियोजना को फिर से शुरू किया गया.
फडणवीस का न्योता और ठाकरे की प्रतिक्रिया
दरअसल, गुरुवार (17 जुलाई) को विधान परिषद में फडणवीस ने मजाकिया लहजे में ठाकरे को "सत्तारूढ़ पक्ष में शामिल होने" का न्योता दिया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी. इसके अगले ही दिन, फडणवीस और ठाकरे की विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे के कक्ष में बंद कमरे में मुलाकात हुई. इस मुलाकात ने संभावित राजनीतिक बदलाव की अटकलों को हवा दी. यह मुलाकात फडणवीस और शिंदे के बीच बढ़ती तनातनी की पृष्ठभूमि में हुई, जो पिछले साल महायुति गठबंधन के सत्ता में आने के बाद शुरू हुई थी, जब शिंदे को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
महाराष्ट्र की सियासत में नया समीकरण?
फडणवीस का ठाकरे को दिया गया न्योता और उनकी मुलाकात यह संकेत दे रही है कि दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सुधर सकते हैं. यह शिंदे के लिए चुनौती बन सकता है, जिन्होंने 2022 में ठाकरे का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. क्या यह मुलाकात महाराष्ट्र की सियासत में नए समीकरण बनाएगी, या यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति है? यह देखना दिलचस्प होगा.