Nisha Bangre: कलेक्टर बनना सपना होता है. हर किसी का सपना पूरा नहीं होता, लेकिन एक लड़की ने अपना सपना पूरा किया और इसे प्रोफेशन को छोड़ भी दिया. हालांकि नौकरी छोड़ना बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस तरीके से ये इस्तीफा हुआ वो थोड़ी अजीब है. हम बात कर रहे हैं निशा बांगरे के इस्तीफे की. निशा बांगरे ने जब इस्तीफा दिया तो सरकार ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया.
इसके बाद निशा बांगरे ने कोर्ट का रुख किया और अपने इस्तीफे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी. कोर्ट के दखल के बाद उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया. निशा बांगरे से जुड़ा विवाद आखिर है क्या आइए जानते हैं.
निशा बांगरे का जन्म बालाघाट में हुआ था. 2010 से 2014 के बीच निशा ने विदिशा के इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद एक कंपनी में नौकरी कर अपने करियर की शुरुआत की. हालांकि बाद में उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला किया. 2016 में मध्य प्रदेश पीएससी की परीक्षा दी. पीएससी परीक्षा में पास होने पर उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ. निशा बांगरे मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं. वह छतरपुर जिले की डिप्टी कलेक्टर थीं. हालांकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए सरकार से त्यागपत्र स्वीकार करने का निवेदन किया था.
निशा बांगरे के बारे में कहा जा रहा है कि वो नौकरी छोड़कर अब चुनाव लड़ना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया. यह नियम है कि प्रशासनिक पद पर रहकर आप चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. इसके अलावा उन पर विभागीय जांच भी बिठाई गई. निशा बांगरे कोर्ट पहुंची और हाई कोर्ट की दखल के बाद उन्हें राहत मिली.