क्या था सलवा जुडूम? सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने किया था खत्म
इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है. रेड्डी ने की महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला सुनाया है. जिसमें से एक मामला सलवा जुडूम का था. यह एक तरीके का एंटी नक्सल अभियान था, जिसे रेड्डी ने 2011 में ख्तम किया था. चलिए जानते हैं क्या था यह पूरा मामला.
B Sudershan Reddy: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है. विपक्षी पार्टियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया है. बी सुदर्शन रेड्डी और एनडीए के उम्मीदवार सीपी कृष्णन के बीच 9 सितंबर को मुकाबला होनना है.
न्यायमूर्ति रेड्डी ने अपने करियर में कई सारे महत्वपूर्ण मामलों पर अपना फैसला सुनाया है. जिसमें से एक मामला सलवा जुडूम का है. रेड्डी ने 2011 में छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम मिलिशिया को गैरकानूनी घोषित किया था. रेड्डी और एसएस निज्जर की पीठ ने सलवा जुडूम को भंग कर दिया और नागरिकों को हथियारबंद करना अनैतिक और खतरनाक बताया था.
क्या था सलवा जुडूम?
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार रेड्डी ने सलवा जुडूम को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन बताया था. छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम अभियान को 2005 में शुरू किया गया था. इस अभियान को 'एंटी नक्सल' अभियान बताया गया था, जिसका उद्देश्य माओवादी विद्रोहियों को खत्म करना था. इस अभियान के लिए राज्य सरकार ने भी समर्थन किया था और हथियार उपलब्ध कराए थे. छत्तीसगढ़ के बस्तर से शुरू हुए इस अभियान का काफी प्रभाव भी नजर आया था. छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, इस क्षेत्र में इस अभियान का काफी असर देखने को मिला था. हालांकि यह भी माना गया कि इस अभियान की वजह से आदिवासी समुदाय के लोगों को विस्थापित होना पड़ा, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
सलवा जुडूम को किया खत्म
इस अभियान के दौरान इसके सदस्यों ने कथित तौर पर कई गांवों पर छापे मारे और कई लोगों के घर को जला दिया. जिसके बाद इसपर मानवाधिकार संगठनों ने इस अभियान के खिलाफ उठाया और इसपर आदिवासियों के साथ दुर्व्यवहार करने का गंभीर आरोप लगाया. रेड्डी और एसएस निज्जर की पीठ ने सलवा जुडूम को 2011 में असंवैधानिक बताते हुए खत्म कर दिया.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेड्डी की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी उम्मीदवारी लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है. रेड्डी ने संयुक्त आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के विभाजन का भी समर्थन किया था. बी सुदर्शन रेड्डी ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी काम किया है. इसके अलावा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, गोवा का पहला लोकायुक्त के रूप में भी काम किया है.
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