देश मे गरीबी की सीमा तय करने का क्या रहा है इतिहास, आजाद भारत से लेकर नीति आयोग की रिपोर्ट में क्या कुछ बदला

Poverty In India: सबसे बड़ा सवाल यह है कि गरीबी को हम कैसे पारिभाषित कर सकते हैं ? जब कोई व्यक्ति जिसके पास इतने वित्तीय साधन, मानवीय जीवन की मूलभूत सुविधाएं नहीं हो, जो न्यूनतम जीवन-स्तर जीने को मजबूर हो उले हम गरीबी के दायरे में रख सकते है.

Imran Khan claims

नई दिल्ली: गरीबी हटाओ का नारा सभी सरकारों की प्राथमिकता में रहता है. देश से गरीबी खत्म करने का लक्ष्य को लेकर 1971 में इंदिरा गांधी ने पहली बार गरीबी हटाओ का नारा दिया था. उनके बाद से देश से गरीबी हटाने के लिए सभी सरकारों ने अपने स्तर पर प्रयास किये है. लेकिन गरीबी को लेकर एक रिपोर्ट इन दिनों चर्चा मे है. नीति आयोग ने अपने ताजा नेशनल मल्टीडाइमेंशियल पावर्टी इंडेक्स रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए और गरीबी में गिरावट लगभग हर राज्य में दर्ज की गई है.

गरीबी तय करने वाली पहली किताब

सबसे बड़ा सवाल यह है कि गरीबी को हम कैसे पारिभाषित कर सकते हैं ? जब कोई व्यक्ति जिसके पास इतने वित्तीय साधन, मानवीय जीवन की मूलभूत सुविधाएं नहीं हो, जो न्यूनतम जीवन-स्तर जीने को मजबूर हो उले हम गरीबी के दायरे में रख सकते है. दरअसल 1901 में  दादाभाई नौरोजी ने 'पोवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' नामक एक किताब लिखी थी. इस किताब मे पहली बार आंकड़ेबाजी की थी और इस पर एक सीरियस डिस्कशन और एस्टीमेट दिया था. 

इस किताब में एक फॉर्मूला का जिक्र है कि एक शांत जिंदगी के लिए कितनी रकम चाहिए? इसके लिए उन्होंने एक शब्द क्वाइटीट्यूड दिया था. तब उन्होंने 15 रुपए से 35 रुपए सालाना का हिसाब दिया था. यह 1867 के मूल्यों पर आधारित था. उसके बाद समय- समय पर अलग-अलग सरकारों में गरीबी को लेकर कई रिपोर्ट सामने आए. जिसने देश में गरीबी के गिरते स्तर की वकालक की.

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भारत मे गरीबी रेखा को लेकर नीति आयोग ने जारी किया रिपोर्ट

दरअसल बीते कुछ दिनों पहले नीति आयोग ने गरीबी रेखा पर राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023  नाम से एक रिपोर्ट जारी किया है. जारी किए गए  रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से लेकर 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी वाले व्यक्तियों की संख्या 24.85 फीसदी से घटकर 14.96 फीसदी रह गई है. यानी  वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2019-21 के मोदी सरकार के 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में सफलता हासिल की गई है. जो मौजूदा केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

भारत 2030 तक देशव्यापी आधा गरीबी को दे देंगा मात

नीति आयोगा की रिपोर्ट की माने तो पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा का बेहर व्यवस्था, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन समेत 12 संकेतकों में क्रांतिकारी सुधार देखा गया है. जिसने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जारी रिपोर्ट में इस बात का प्रमुखता से जिक्र है कि भारत 2030 की समय सीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा करने का) हासिल करने की राह पर अग्रसर है.

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