SC on Baba Ramdev: पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर जानबूझकर कोर्ट की बात को अनदेखी करने और नियमों का उल्लंघन करने को लेकर जमकर फटकारा है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी पर आदेश का उल्लंघन करने के लिए भी डांट लगाई है. पतंजलि की तरफ से 2 अप्रैल को भी माफीनामा दिया गया था लेकिन बेंच ने इसे महज खानापूर्ति बताते हुए मानने से इंकार कर दिया और 10 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख तय की थी.
इसे देखते हुए 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से एक नया हलफनामा दाखिल किया गया जिसमें उन्होंने बिना शर्त माफी मांगते हुए गलती मानने और दोबारा न करने का आश्वासन दिया था. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस पूरे प्रकरण को अवमानना के तौर पर देखा है और पतंजलि को कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा है.
मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को की जाएगी लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 6 बार केंद्र की ओर से जारी किए गए लेटर पर कोई कार्रवाई नहीं होने के मामले में तीनों लाइसेंसिंग ऑफिसर्स को सस्पेंड करने का आदेश दिया है.
दरअसल यह पूरी सुनवाई इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से पतंजलि के खिलाफ दायर की गई उस पर याचिका पर है जिसमें कोरोना काल के दौरान बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स वाली कंपनी ने कोविड वैक्सिनेशन और एलोपैथी के खिलाफ नेगेटिव प्रमोशन किया था. इतना ही नहीं पतंजलि ने कुछ बीमारियों के इलाज को लेकर झूठे दावे भी किए थे जिसको लेकर आईएमए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
इस मामले पर सरकार की ओर से 6 बार नोटिस भी जारी किया गया था लेकिन राज्य के लाइसेंसिंग ऑफिसर्स ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे अवमानना का मुद्दा मान लिया है.
जहां एक ओर बाबा रामदेव लगातार अपनी कंपनी की तरफ से माफी मांगते नजर आ रहे हैं तो वहीं पर सुप्रीम कोर्ट का दिल पसीज नहीं रहा है. आखिरकार कोर्टरूम में ऐसा क्या हुआ जिसके चलते बाबा रामदेव की किसी भी बात को सुप्रीम कोर्ट सुनने से इंकार कर रही है. आइये समझते हैं कोर्टरूम की पूरी बातचीत में-