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मणिपुर और कश्मीर से ज्यादा असुरक्षित हो गया पश्चिम बंगाल? सबसे ज्यादा फोर्स यहीं क्यों लगा रहा चुनाव आयोग?

West Bengal Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में इस बार केंद्रीय चुनाव आयोग सबसे ज्यादा सुरक्षाबल पश्चिम बंगाल में तैनात किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल के लिए मणिपुर से भी जवानों को वापस बुला लिया जा रहा है.

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India Daily Live
West Bengal
Courtesy: India Daily Live

बीते कुछ सालों में पश्चिम बंगाल देश की राजनीति का अहम केंद्र बन गया है. उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण भारत तक पैर पसार चुकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अभी भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त नहीं कर पाई है. पीएम नरेंद्र मोदी के इन दो कार्यकाल में ममता बनर्जी की सरकार बनाम केंद्र सरकार की जंग हर मोर्च पर जारी रही है. हाल ही में ED और NIA की टीमों पर पश्चिम बंगाल में हमला हुआ, बीते कुछ सालों में बीजेपी और टीएमसी का प्रत्यक्ष टकराव हुआ और केंद्र बनाम बंगाल की राजनीति भी खूब हुई. चुनावी हिंसा के मामलों को देखते हुए इस बार चुनाव आयोग ने सबसे ज्यादा सुरक्षा बल पश्चिम बंगाल में तैनात करने की योजना बनाई है.

पिछले साल पश्चिम बंगाल में पंचायत के चुनाव हुए थे. सुरक्षा के तमाम इंतजामों के बावजूद पूरे पश्चिम बंगाल में जमकर हिंसा हुई. इन हिंसक घटनाओं में एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए. ये चुनाव राज्य चुनाव आयोग की देखरेख में करवाए गए थे. इससे पहले, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के दौरान भी पश्चिम बंगाल में हिंसक घटनाएं होती रही हैं. इतना ही नहीं, बीते कुछ दशकों में राजनीतिक हत्याओं के मामले में भी पश्चिम बंगाल का नाम खूब आया है.

खून से सना रहा है बंगाल का इतिहास!

बीते कई दशकों से पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा आम रही है. लेफ्ट की सरकार के समय से लेकर ममता बनर्जी के शासनकाल तक चुनाव में हिंसक घटनाएं होना और इनमें लोगों की जान जाना जैसे रवायत बन गया था. 2023 के पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती भी हिंसा की घटनाओं को नहीं रोक सकीं. बीते कुछ सालों में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे लोगों ने भी ममता बनर्जी की सरकार पर सीधे तौर पर आरोप लगाए हैं.

पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी बीजेपी के अलावा कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी भी लगातार ममता बनर्जी पर हमलावर रहे हैं. हिंसा ही एक अहम वजह है कि लेफ्ट और कांग्रेस भी ममता बनर्जी से गठबंधन को तैयार नहीं हुईं. कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ममता बनर्जी को साथ लेने को तैयार था इसके बावजूद स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया. ऐसे में अब चुनाव में सुरक्षा बलों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाने से टीएमसी को और दिक्कतें हो रही है.

पश्चिम बंगाल पर चुनाव आयोग का फोकस

पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान 10 हजार अतिरिक्तत सुरक्षा बल भेजे जा रहे हैं. केंद्रीय सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां 15 अप्रैल से पहले पश्चिम बंगाल में पहुंच जाएंगी.  हैरानी की बात यह है कि पश्चिम बंगाल में जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए मणिपुर से CAPF के जवानों को बुलाया जा रहा है. बता दें कि मणिपुर में पिछले साल के मई महीने से ही तनाव जारी है. मणिपुर के अलावा झारखंड में तैनात जवानों को भी पश्चिम बंगाल भेजा रहा है.

दरअसल, केंद्रीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव कराने के लिए सुरक्षाबलों की 900 कंपनी (90 हजार जवान) मांगी है. इतने जवा जम्मू-कश्मीर में भी तैनात नहीं किए जाते जबकि जम्मू-कश्मीर को देश का सबसे संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. लगभग दो दर्जन कंपनियों को मणिपुर से पश्चिम बंगाल बुलाया जा रहा है. इसके अलावा, चुनाव की ड्यूटी में रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवानों को भी तैनात किया जाएगा.

CRPF के सामने संकट

इतनी बड़ी संख्या में जवान मांगे जाने की वजह से दुनिया के सबसे बड़ी पैरा मिलिट्री फोर्स CRPF के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. अपनी पूरी ताकत इकट्ठा करने के बावजूद CRPF इस मांग को पूरी नहीं कर पा रहा है. चुनाव में जवानों की संख्या पूरी करने के लिए CRPF ने ट्रेनिंग सेशन रोक दिए हैं और स्पोर्ट्स टीम के जवानों को भी बुला लिया है. इसके अलावा, छुट्टियां भी कैंसल कर दी गई हैं.