लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन और राज्य की मांग के बीच गिरफ्तार किए गए सोनम वांगचुक को लेकर सियासत गरमा गई है. शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रविरोध की परिभाषा आखिर क्या है, जब एक ओर देश के लिए काम करने वाले वैज्ञानिक को एनएसए के तहत जेल भेजा जाता है और दूसरी ओर भारत और पाकिस्तान क्रिकेट मैदान पर आमने-सामने होते हैं.
उद्धव ठाकरे ने मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह विडंबना है कि एक ओर सरकार पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बताती है, वहीं दूसरी ओर उससे क्रिकेट मुकाबले खेलती है. उन्होंने लोगों से अपील की कि एशिया कप फाइनल का बहिष्कार करें और खुद को देशभक्त मानने वाली कंपनियों से भी कहा कि वे इस मैच के दौरान विज्ञापन न दें.
पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को शुक्रवार को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. वे लद्दाख में राज्य के दर्जे और संवैधानिक संरक्षण की मांग कर रहे आंदोलनों का चेहरा बने हुए थे. दो दिन पहले हुए हिंसक प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे. इसके बाद हालात बिगड़ने पर उन्हें जोधपुर जेल भेजा गया.
वांगचुक की पत्नी गीता अंजलि आंग्मो ने सुरक्षा बलों को हिंसा का जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि वांगचुक ने हमेशा अहिंसक और गांधीवादी तरीके से आंदोलन किया, लेकिन 24 सितंबर को हालात सीआरपीएफ की कार्रवाई के कारण बिगड़े. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान से रिश्ते या फंडिंग के आरोप पूरी तरह झूठे और निराधार हैं.
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष लगातार केंद्र पर दबाव बना रहा है. कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय दलों तक सभी यह पूछ रहे हैं कि सरकार के लिए देशभक्ति की परिभाषा क्या है. क्या सेना के लिए नवाचार करने वाले वैज्ञानिक पर शक करना आसान है और क्या पाकिस्तान से क्रिकेट खेलना राष्ट्रीय गर्व का हिस्सा माना जा सकता है? इस बहस ने एशिया कप फाइनल से पहले एक नया राजनीतिक रंग दे दिया है.