उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बनी बायोपिक 'Ajey: The Untold Story of a Yogi' हाल ही में रिलीज हुई थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई. फिल्म की कमाई बेहद कम रही है, जबकि इसे एक बड़े राजनीतिक प्रोजेक्ट के रूप में पेश किया गया था.
इस पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि यह वह सरकार है, जो सदन में नहीं, बल्कि सिनेमा हॉल में गिरी है.
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, 'फिल्म पर्दे पर हारी है, लेकिन डायलॉगबाजी जारी है. सुना है भाजपा के 4 विधायक भी फिल्म देखने नहीं गए, न ही किसी ने फिल्म देखते हुए अपनी फोटो डाली. लगता है फिल्म बनवाने वाले फिल्म देखने के लिए व्हिप जारी करना भूल गए थे.' उन्होंने इसे सरकार की नाकामी बताया और कहा कि यह पहली ऐसी सरकार है जो सिनेमा हॉल में गिरी है, सदन में नहीं. इस तंज के माध्यम से अखिलेश ने भाजपा नेताओं की फिल्म के प्रति उदासीनता पर सवाल उठाए.
फ़िल्म पर्दे पर हारी है, पर डॉयलॉगबाजी जारी है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 28, 2025
सुना है भाजपा के 4 विधायक भी फ़िल्म देखने नहीं गये, न ही किसीने फ़िल्म देखते हुए अपनी फोटो डाली, लगता है फ़िल्म बनवानेवाले, फ़िल्म देखने के लिए व्हिप जारी करना भूल गये थे। इस हिसाब से तो सरकार गिरी हुई मानी जाएगी और ये वो पहली…
योगी आदित्यनाथ की बायोपिक 'Ajey: The Untold Story of a Yogi' 19 सितंबर को रिलीज हुई थी, लेकिन अब तक इसे बॉक्स ऑफिस पर भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. खबरों के मुताबिक, फिल्म का निर्माण लगभग 15 करोड़ रुपये में हुआ था, लेकिन अब तक इसकी कमाई मात्र 1.68 करोड़ रुपये रही है. फिल्म का अंतरराष्ट्रीय बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी सिर्फ 1.93 करोड़ रुपये रहा है, जो कि इसकी लागत से बहुत कम है. फिल्म ने ना केवल दर्शकों को आकर्षित किया, बल्कि आलोचकों की नजर में भी यह खरी नहीं उतरी.
अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी फिल्म के बारे में अपनी राय जाहिर की. उन्होंने पूछा कि क्या फिल्म में वो मुकदमे पलटने वाला सीक्वेंस है या कार पलटने वाला सीन है. इसके साथ ही उन्होंने फिल्म के कथानक को लेकर सवाल उठाए और कहा कि इसे शायद 'बीप' से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म में मानवीय संवेदनाएं और सच्चाई से दूर की कोई कहानी दिखाई गई है, जिस वजह से दर्शक इसे नकार रहे हैं.
कुछ सिनेमा समीक्षकों ने भी फिल्म की असफलता को लेकर सवाल उठाए हैं. उनका मानना है कि फिल्म की नाकामी के कारणों की जांच के लिए शायद एसआईटी बैठानी पड़े. समीक्षकों का कहना है कि दर्शक हमेशा सच्ची और भावनात्मक फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन यह फिल्म सच्चाई और संवेदनाओं से कोसों दूर रही, जिसकी वजह से इसे नकारा गया.