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'धर्म की वजह से उनको...', मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी 7 आरोपियों की रिहाई पर भड़के असुदद्दीन ओवैसी, जानें क्या कहा?

मालेगांव बम धमाके को लेकर 17 साल बाद आए फैसले ने सियासी हलचल तेज कर दी है. NIA की विशेष अदालत ने गुरुवार को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस फैसले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गहरी निराशा जताई है और कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

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Edited By: Yogita Tyagi
Asaduddin Owaisi

मालेगांव बम धमाके को लेकर 17 साल बाद आए फैसले ने सियासी हलचल तेज कर दी है. NIA की विशेष अदालत ने गुरुवार को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस फैसले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गहरी निराशा जताई है और कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

ओवैसी ने कहा कि 2008 में हुए धमाके में छह नमाजी मारे गए और करीब 100 लोग घायल हुए थे। उनका आरोप है कि उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया. उन्होंने फैसले को ‘निराशाजनक’ बताते हुए जांच एजेंसियों और अभियोजन पक्ष पर जानबूझकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. ओवैसी ने पूछा कि क्या केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार इस फैसले को चुनौती देंगी, जिस तरह उन्होंने मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों में फैसले के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी?

क्या बोले ओवैसी? 

ओवैसी ने 2016 की एक घटना की याद दिलाई जब इस केस की तत्कालीन विशेष अभियोजक रोहिणी सालियान ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों के प्रति नरमी बरतने को कहा था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2017 में एनआईए ने जानबूझकर साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट देने की कोशिश की और वही व्यक्ति 2019 में भाजपा से सांसद बनी.

उठाये 5 बड़े सवाल 

  • मालेगांव विस्फोट मामले का फैसला निराशाजनक है। विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई घटिया जांच/अभियोजन पक्ष ही बरी होने के लिए जिम्मेदार है।
  • विस्फोट के 17 साल बाद अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जिस तरह उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे? उन 6 लोगों की हत्या किसने की?
  • याद कीजिए 2016 में मामले की तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने को कहा था। याद कीजिए, 2017 में, एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी। वही व्यक्ति 2019 में भाजपा सांसद बना।
  • करकरे ने मालेगांव में हुई साज़िश का पर्दाफ़ाश किया था और दुर्भाग्य से 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए। भाजपा सांसद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम थी।
  • क्या एनआईए/एटीएस अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? मुझे लगता है कि हम इसका उत्तर जानते हैं। यह आतंकवाद के विरुद्ध कठोर मोदी सरकार है। दुनिया याद रखेगी कि इसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया।

अदालत का आया फैसला 

दूसरी ओर, अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सका. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस मोटरसाइकिल में विस्फोटक लगाया गया था, उसमें आरडीएक्स होने के कोई प्रमाण नहीं मिले. साथ ही साजिश रचने के आरोपों को भी खारिज कर दिया गया.